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गुजरात के मुख्यमंत्री ने विश्व के पहले नैनो यूरिया लिक्विड उर्वरक की खेप को दिखाई हरी झंडी

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अहमदाबाद | गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि परंपरागत खेती की दिशा बदलने में नैनो टेक्नोलॉजी से बना नाइट्रोजन युक्त नैनो यूरिया लिक्विड खाद किसानों के लिए उपयोगी साबित होगा। इंडियन फॉर्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) कलोल इकाई द्वारा उत्पादित दुनिया के पहले पर्यावरण अनुकूल नैनो यूरिया लिक्विड खाद की खेप को शनिवार को गांधीनगर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हरी झंडी दिखाते हुए उन्होंने यह बात कही। इस उपलब्धि के लिए इफको के वैज्ञानिकों और संचालक मंडल को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यूरिया की व्यापक मांग से निपटने के लिए नैनो टेक्नोलॉजी से बना लिक्विड यूरिया किसानों के लिए यूरिया की उपलब्धता को आसान बनाएगा। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि कृषि और ग्रामीण संस्कृति वाले हमारे देश की कृषि समृद्धि से ही खेती और किसान समृद्ध बनेंगे। 

यदि खेती समृद्ध होगी तो गांव समृद्ध होंगे और गांव समृद्ध तो शहर और शहरों के समृद्ध होने पर राज्य और अर्थव्यवस्था समृद्ध बनेगी। उन्होंने कहा कि अतीत में खेती और किसानों की उपेक्षा होती रही है। यूरिया की कालाबाजारी होती थी और किसान कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या को मजबूर होता था। लेकिन अब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने किसान और खेती के कल्याण और विकास के लिए कई योजनाएं बनाई और अनेक कदम उठाए जिससे किसान सच्चे अर्थ में जगत का तात बना है। उन्होंने कहा कि पहले यूरिया का इस्तेमाल खेतों में कम और उद्योगों में ज्यादा होता था, जिसके कारण किसानों को समय पर यूरिया नहीं मिल पाता था। परन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों की इस समस्या का समाधान करने के लिए यूरिया को नीम कोटेड बनाने का प्रावधान किया, ताकि उसका इस्तेमाल केवल खेती और फसलों में ही हो सके। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि किसानों को शून्य फीसदी ब्याज दर पर ऋण, दिन को बिजली आपूर्ति की किसान सूर्योदय योजना और हाल ही में चक्रवाती तूफान तौकते से बागवानी फसलों को हुए व्यापक नुकसान के एवज में 500 करोड़ रुपए के राहत पैकेज जैसे किसान हितकारी कदमों के जरिए यह सरकार हमेशा किसानों के हित को प्राथमिकता देती आई है।

उन्होंने कहा कि देशभर में पहली बार गुजरात ने एक नया प्रयोग किया है। इसके अंतर्गत चक्रवात तौकते के चलते उखड़ चुके नारियल, आम, नींबू तथा अमरूद जैसे पेड़ों को पुनः उसी जगह पर लगाकर पुनर्जीवित किया जाएगा। यही नहीं, इस कार्य में राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों के कृषि वैज्ञानिकों की सहायता भी ली जा रही है। रूपाणी ने कहा कि अब किसानों को सब्सिडी वाले यूरिया से 10 फीसदी कम कीमत पर इफको के मार्फत यह नैनो यूरिया उपलब्ध होगा, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ होने के साथ ही भूमि में हुआ प्रदूषण संबंधी असंतुलन को भी दूर करने में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि फसल विकसित होने के निर्णायक चरण में नैनो यूरिया (लिक्विड) का पत्तियों पर छिड़काव प्रभावी रूप से उसकी नाइट्रोजन की जरूरत को पूरा करता है और परंपरागत यूरिया की तुलना में फसल की पैदावार और गुणवत्ता को बढ़ाता है। दुनियाभर में खेती से जुड़े लोगों को उपज में कमी, पोषक तत्वों की कम होती गुणवत्ता, मिट्टी में कम हो रहे जैविक पदार्थ, विभिन्न पोषक तत्वों की खामी, खेती लायक जमीन और पानी की उपलब्धता में कमी जैसी विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भूमि और जल संसाधनों में लगातार कमी तेजी से बढ़ रही मानव आबादी के आहार, आजीविका और पोषण सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती के समान है। ऐसे समय में नैनो उर्वरक का उपयोग अब फसल के विकास को प्रोत्साहित करने की उम्मीदभरी योजना के तौर पर उभरकर सामने आया है। प्रभावी और टिकाऊ कृषि प्रणालियां पानी, खाद और अन्य सामग्री के कुशलतापूर्वक उपयोग की दिशा में ले जाती हैं।

इस तरह, व्यय, पर्यावरणीय प्रदूषण और ऊर्जा की खपत में कमी कर खेती को और भी टिकाऊ बनाया जा सकता है। नैनो यूरिया (लिक्विड) का जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुसार बायोसेफ्टी और विषाक्तता के लिए परीक्षण किया गया है। निर्धारित मात्रा में नैनो यूरिया (लिक्विड) का उपयोग मनुष्य, प्राणियों, पक्षियों, सूक्ष्म जीवों और पर्यावरण के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ) के अंतर्गत नैनो फर्टिलाइजर के तौर पर इफको नैनो यूरिया (लिक्विड) को अधिसूचित किया है।

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