देहरादून । एक ओर सरकार खिलाड़ियों की भलाई के लिए कई योजनाएं चला रही है। वहीं दूसरी ओर एक के बाद एक ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जब पदक विजेता खिलाड़ियों को भी बदहाली से जूझना पड़ा रहा है। देश की पहली दिव्यांग निशानेबाज दिलराज कौर आर्थिक संकट के कारण आजकल सड़क पर स्टाल लगाकर बिस्कुट बेच रही हैं। दलराज ने कहा, “मैंने भारत के लिए पदक जीते हैं , जब देश की जरूरत थी तो मैं वहां थी, लेकिन अब जब मुझे जरूरत है तो कोई मेरे साथ नहीं है।” पिता और भाई के निधन के बाद से ही दिलराज को काफी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है और इसी कारण वह स्टाल लगाकर खाने का सामान बेच रही है।
एक समय में देश के सर्वश्रेष्ठ पैरा एयर पिस्टल निशानेबाजों में शामिल दिलराज ने अपने करियर में दो दर्जन से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं। वह अपनी मां गुरबीत के साथ देहरादून में किराए के मकान में रहती है। उन्होंने कहा, “हमारी आर्थक हालत बेहद खराब है। यही वजह है कि हमें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बिस्कुट आदि बेचने पड़ रहे हैं।” दिलराज ने कहा कि उन्हें उत्तराखंड के पैरा-शूटिंग समुदाय से कोई मदद नहीं मिली है। दिलराज ने खेल कोटे से सरकारी नौकरी की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि, “मैंने कई बार खेलों में अपनी उपलब्धि के आधार पर नौकरी के लिए अपील की है, लेकिन कुछ नहीं हुआ।”