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ओटीटी प्लेटफॉर्म, टेलीविजन और अखबार में सोडा और पानी के नाम पर नशीली चीजों का प्रचार

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बिलासपुर । ओटीटी प्लेटफॉर्म, टेलीविजन और अखबार में सोडा और पानी के नाम पर नशीली चीजों का प्रचार किया जा रहा हैं। इस संबंध में चेंबर ऑफ कॉमर्स के संभागीय अध्यक्ष रामअवतार अग्रवाल के द्वारा लगाई गई याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा हैं। अधिवक्ता अंकित सिंघल के माध्यम से दायर याचिका में उन्होंने कहा है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म, टेलीविजन और अखबार में ड्रग्स, शराब व सिगरेट के भ्रामक प्रचार किए जा रहे हैं। इनमें सोडा और पानी का ब्रांड दिखाया जाता है जो असल में नशीली चीजों के ब्रांड होते हैं। शराब, सिगरेट व ड्रग्स को इन विज्ञापनों के जरिए महिमामंडित किया जा रहा है जो केंद्र सरकार के नियमों का खुला उल्लंघन है। शराब कंपनियां जो दूसरे प्रोडक्ट बताकर विज्ञापन करती हैं वह उत्पाद बाजार में खोजने पर भी नहीं मिलते। याचिका में कहा गया है कि केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमम अधिनियम 1995 में इस तरह के विज्ञापन पर रोक लगाने का प्रावधान है। साथ ही केंद्र सरकार ने संसद में सेरोगेट विज्ञापन निषेध अधिनियम 2016 प्रस्तुत किया है।

इन नियम अधिनियमों में भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाए जाने का प्रावधान है। इसके बावजूद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, वेब पोर्टल और अखबारों में इस तरह के विज्ञापन लगातार प्रचारित किए जा रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि इस भ्रामक प्रचार के कारण युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में जकड़ रही है। नशीले सामानों की बिक्री में 15 प्रतिशत  का इजाफा भी पिछले एक साल के भीतर हो चुका है। समाज पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। मामले की सुनवाई कार्यवाहक चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा व जस्टिस पीपी साहू की डबल बेंच में हुई। कोर्ट ने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय, सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, गृह मंत्रालय और सेंट्रल बोर्ड फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

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