कोरबा पाली ब्लॉक की 2500 आबादी वाली मुनगाडीह ग्राम पंचायत में जब एक साथ 90 लोग कोरोना पॉजिटिव हुए तो पूरे गांव में दहशत थी कि अब शायद किसी का बच पाना मुश्किल है। पड़ोसी गांव में रहने वाले भी डर में जीने लगे थे। घबराहट भरे इस माहौल के बीच बस्तीपारा मोहल्ले की मितानिन संतोषी डिक्सेना और गांव की अन्य मितानिन हौंसले के साथ सामने आईं और लोगों को हिम्मत दी कि वे घबराएं नहीं कोरोना से ठीक हो जाएंगे। मितानिनों ने घर-घर जाकर गेट के बाहर पोस्टर लगाया कि बिना मास्क के घर में प्रवेश नहीं मिलेगा। साथ ही बस्तीपारा के पूरे मोहल्ले को कंटोनमेंट जोन घोषित कर मरीजों तक दवाइयां पहुंचाई। परिणाम ये हुआ कि 90 में 74 लोग कोरोना से जीत गए। अभी 15 घर पर रहकर इस लड़ाई को लड़ रहे हैं। एक मरीज ने दम तोड़ा है। अब गांव सुरक्षित है।
*पड़ोसी गांव से सबक, इसलिए पूरा गांव सुरक्षित
जब मुनगाडीह संक्रमण की चपेट में आया तब पड़ोसी पंचायत तालापारा के लोग परेशान होने लगे। 1700 की जनसंख्या वाले इस गांव में चर्चा होने लगी कि अब कोरोना से बचने के लिए कहां भागें क्योंकि दोनों पंचायतों के बीच में बना सरकारी स्वास्थ्य केंद्र का ताला पिछले एक महीने से नहीं खुला। संकट की इस घड़ी में सरपंच गंगाराम ने गांव के लोगों को हौसला दिया और कहा कि अब गांव को पूरा लॉक कर देना चाहिए। सभी ने समर्थन किया और पूरे गांव को एक डेढ़ महीने के लिए लॉक कर दिया। बाहर का कोई भी आदमी गांव में नहीं आया और गांव सुरक्षित है। सरपंच बताते हैं कि गरीब गांव होने के बाद भी मैने और गांव के कुछ साथियों ने मिलकर लोगों के लिए राशन-पानी की व्यवस्था के साथ मास्क और सेनेटाइजर के अलावा दवाई, गोलियां मंगवाई ताकि जरूरत पर लोगों के काम आ सके लेकिन ईश्वर ने भी हमारा साथ दिया कोई भी कोरोना की चपेट में नहीं आया। गांव में अभी भी बाहरी लोग नहीं आ रहे लेकिन बैरिकेडिंग हटा दी है।
*पहला केस मिलते ही महिलाओं ने लगा दिया लॉकडाउन
1391 की आबादी वाले सुतर्रा ग्राम पंचायत में एक स्वास्थ्य केंद्र है। जब कोरोना ने इस गांव में पैर रखा तभी यहां की महिलाएं सक्रिय हुईं और हौसले के साथ सामने आईं ताकि सभी को बचाया जा सके। परिणाम भी सार्थक रहे। सितंबर में पहला मरीज मिलते ही गांव की सचिव ममता कश्यप और उनकी सहयोगी 15 महिलाओं ने पूरी पंचायत में लॉकडाउन लगा दिया। घर-घर जाकर महिलाएं लोगों के स्वस्थ की जानकारी लेती थीं। सर्दी, खांसी, बुखार होने पर कोरोना की जांच कराती थीं। पॉजिटिव आने पर मरीज की मॉनिटरिंग भी करती थीं। जरूरत पर जरूरी सामान भी उपलब्ध कराती थीं। महिलाओं की इस सक्रियता के कारण गांव में 39में से 34 लोग ठीक हो चुके हैं। एक की मृत्यु हुई है। 4 लोग अभी एक्टिव हैं। सभी महिलाएं इस जिम्मेदारी को निशुल्क निभा रही हैं ताकि उनका गांव सुरक्षित रहे।
*लगा दी ऑक्सीजन युक्त गाड़ी
नुनेरा ग्राम पंचायत में 5000 लोग निवासरत हैं। गांव में एक हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर हैं। पूरी पंचायत में अब तक 35 लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। राहत है कि यहां किसी की मौत नहीं हुई। यहां ऑक्सीजनयुक्त गाड़ी लगाई गई है। गांव वालों ने बताया कि कोरोना संकट के इस समय में गांव के सरपंच लोगों की सेवा में जुटे हैं। चूंकि गांव में गंभीर मरीजों के इलाज की सुविधा है हालत ज्यादा खराब होने पर मरीज को बिलासपुर या फिर कोरबा के अस्पताल भेजना पड़ता है। यहां एंबुलेंस आ नहीं पाती। निजी गाडिय़ां पैसे ज्यादा मांगती है। लोगों को परेशानी न हो इसलिए सरपंच मुकेश कुमार ने ऑक्सीजन युक्त एक चार पहिया गाड़ी लोगों की सेवा में लगा रखी है। सांस लेने में तकलीफ या फिर मरीज की हालत गंभीर होने पर गाड़ी मरीज को लेकर बिलासपुर या फिर कोरबा के लिए रवाना हो जाती। सरपंच इस काम को निशुल्क कर रहे हैं।