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लंदन जाकर सीरम सीईओ का बड़ा आरोप

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नई दिल्ली । कोरोना वायरस के रोजाना रिकॉर्ड मामले सामने आने के बीच देश में वैक्सीनेशन अभियान का तीसरा फेज शनिवार से शुरू हो गया। देश में लगातार वैक्सीन की मांग बढ़ती जा रही है। इस बीच, कोविशील्ड वैक्सीन का प्रोडक्शन करने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के प्रमुख अदार पूनावाला ने वैक्सीन की डिमांड के लिए बढ़ते दबाव को लेकर बातचीत की है। ब्रिटेन में पूनावाला ने यह भी आरोप लगाया है कि वैक्सीन को लेकर भारत के कई शक्तिशाली लोग उन्हें परेशान कर रहे हैं। पूनावाला को हाल ही में केंद्र सरकार ने वाई श्रेणी की सुरक्षा भी मुहैया करवाई है।  सिक्योरिटी मिलने के बाद पहली बार इस बारे में बात करते हुए अदार पूनावाला ने  दिए एक इंटरव्यू में बताया कि भारत के पावरफुल लोग आक्रामक रूप से कॉल करके कोविशील्ड वैक्सीन की मांग कर रहे हैं। मालूम हो कि कोविशील्ड पहली वैक्सीन है, जिसे डीसीजीआई ने कोरोना के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी थी। कोविशील्ड का उत्पादन दुनिया की वैक्सीन बनाने वाली प्रमुख कंपनियों में से एक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है। एसआईआई के प्रमुख ने बताया कि इसी दबाव की वजह से वह अपनी बेटी और पत्नी के साथ लंदन आ गए हैं। 40 वर्षीय पूनावाला ने कहा, ”मैं यह अतिरिक्त समय तक इसलिए रुका हूं, क्योंकि मैं उस स्थिति में फिर से जाना नहीं चाहता। सबकुछ मेरे कंधे पर आ गया है, लेकिन मैं अकेले कुछ नहीं कर सकता। मैं ऐसी स्थिति में नहीं रहना चाहता, जहां आप अपना काम कर रहे हों, और आप एक्स, वाई या जेड की मांगों की सप्लाई को पूरा नहीं कर सकें। यह भी नहीं पता हो कि वे आपके साथ क्या करने जा रहे हैं।” उन्होंने कहा, “उम्मीद और आक्रामकता का स्तर वास्तव में अभूतपूर्व है। यह भारी है। सभी को लगता है कि उन्हें टीका मिलना चाहिए। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि किसी और को उनसे पहले क्यों मिलना चाहिए।” पूनावाला ने इंटरव्यू में संकेत दिया कि उनका लंदन का कदम भारत के बाहर के देशों में वैक्सीन निर्माण का विस्तार करने की व्यावसायिक योजनाओं से भी जुड़ा हुआ है, जिसमें ब्रिटेन उनकी पसंद हो सकता है। जब भारत के बाहर टीके निर्माण को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, ”अगले कुछ दिनों में बड़ा ऐलान होने जा रहा है।” अखबार के अनुसार, इस साल जनवरी में ऑक्सफोर्ड / एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को मंजूरी दी गई थी, तब तक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने 80 करोड़ अमरीकी डॉलर की लागत से अपनी वार्षिक उत्पादन क्षमता 1.5 से 2.5 बिलियन खुराक तक बढ़ा दी थी और पांच करोड़ खुराक का प्रोडक्शन भी कर लिया था।

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