नई दिल्ली । भारत के स्वदेश में बने हल्के लड़ाकू विमान तेजस की हवा से हवा में मार करने की हथियार क्षमता में पांचवीं पीढ़ी का पाइथन-5 प्रक्षेपास्त्र जुड़ गया है। रक्षा अनुसंधान विकास संस्थान इसका सफल परीक्षण किया है। रक्षा अनुसंधान विकास संस्थान (डीआरडीओ) ने बुधवार को एक बयान में कहा कि इस परीक्षण का लक्ष्य तेजस पर पहले से ही एकीकृत डर्बी बियॉन्ड विजुअल रेंड (बीवीआर) एएएम की बढ़ी हुई क्षमता को सत्यापित करना था। रक्षा अनुसंधान विकास संस्थान ने कहा कि मंगलवार को गोवा में किए गए इस परीक्षण प्रक्षेपण से विभिन्न चुनौतीपूर्ण परिदृश्यों में इसके प्रदर्शन के प्रमाणन के लिए प्रक्षेपास्त्र परीक्षणों की श्रृंखला पूरी हुई। बयान में कहा गया कि डर्बी प्रक्षेपास्त्र ने तेज गति से हवा में करतब दिखा रहे लक्ष्य पर सीधा प्रहार किया और पाइथन प्रक्षेपास्त्र ने भी 100 प्रतिशत लक्ष्य पर वार किया और इस तरह अपनी पूर्ण क्षमताओं को प्रमाणित किया। इन परीक्षणों ने अपने सभी लक्षित उद्देश्यों की प्राप्ति की। इस परीक्षणों से पहले बेंगलुरु में तेजस में लगी विमानन प्रणाली के साथ प्रक्षेपास्त्र के एकीकृत होने के आकलन के लिये व्यापक हवाई परीक्षण किए गए। इनमें लड़ाकू विमान की वैमानिकी, फायर-नियंत्रण रडार, प्रक्षेपास्त्र आयुध आपूर्ति प्रणाली, विमान नियंत्रण प्रणाली शामिल हैं। तेजस फाइटर जेट में अब हवा से हवा में मार करने वाली पांचवीं पीढ़ी की पाइथन-5 मिसाइल लगाई गई है। यह मिसाइल दुश्मन के विमानों, हेलिकॉप्टरों और ड्रोन को को पलक झपकते ही धराशायी कर देगी। इस मिसाइल का उपयोग दुनिया के करीब 20 देशों की वायुसेना करती है। पाइथन-5 की लंबाई 10.17 फीट है। इसका व्यास 6.29 इंच है। वजन 105 किलोग्राम है। यह इंफ्रारेड और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इमेजिंग के जरिए गाइड होती है। इसकी रेंज 20 किलोमीटर है। यानी दुश्मन का जहाज अगर 20 किलोमीटर दूर पर हवा में स्थित हैं और वह दिखाई नहीं दे रहा है तो भी यह उसे नष्ट कर देगी। विमान से प्रक्षेपास्त्र के सफलतापूर्वक अलग होने संबंधी परीक्षणों के बाद गोवा में ‘दुश्मन’ के लक्ष्य को भेदने के लिए परीक्षण किया गया। बयान में कहा गया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और परीक्षण से जुड़े सभी लोगों को बधाई दी है।