भोपाल । राजधानी में प्रवेश के सभी रास्तों पर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया है। यहां से ना कोई बाहर जा सकता है और ना ही कोई अंदर आ सकता है। पुलिस की इस सख्ती से लोग परेशान हैं। अगर किसी का रिश्तेदार बाहर गांव में भर्ती है तो वह उसे लेकर बाहर नहीं जा सकता है। पुलिस कर्मियों को लोगों का कहना है कि आपने आने जाने के रास्ते बंद कर दिए हैं, लोगो की तकलीफ को समझ कर दिल के दरवाजों को खोलकर रखें। जानकारी के अनुसार शहर के बाहर के मिसरोद , सूखीसेवनिया, परवालिया खजूरी सडक और रातीबड सीमावर्ती थाने है। इन थानों ने अपनी – अपनी सीमाओं पर अधिक सख्ती दिखाकर लोगों का आना जाना बंद कर दिया गया है। बाकायदा बैरिकेटिंग करके रास्तों को बंद कर दिया गया है, लेकिन इन हालातों में उन लोगों को भी परेशान किया जा रहा है। जिनको आने जाने की अनुमती कलेक्टर ने दे रखी है। पुलिस उन लोगों को भी रोक रही है। आला अधिकारियों को पुलिस कर्मियों को इस हरकत की जानकारी देने के बाद भी वह कोई कार्रवाई नहीं करवा रहे हैं। आला अधिकारियों को देखना चाहिए। ऐसे मामलों में संवेदनहीन पुलिस कर्मियों को चेकिंग प्वाइंट पर तैनात नहीं करना चाहिए। हम बता दें कि कोलार , कमलानगर , अरेराहिल्स, काजीकैंप में पुलिस कर्मियों ने लोगों के साथ अभद्रव्यवहार किया और बाद में उलटा उन पर केस दर्ज कराकर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। सबसे अधिक परेशनी सूखीसेवनिया थाने के विदिशा , अशोकनगर और सागर जाने वाले मार्ग पर आ रही है। यहां की पुलिस सुबह पांच बजे सब्जी और ट्रकों भी आने जाने से रोक देते हैं। पुलिस कर्मियों ने मुख्य सडक पर ही बेरिकेड लगाकर लोगों को रोका जाता है। इससे सबसे अधिक परेशन वह लोग भी होते हैं, जिनके घर पर कोई बीमार है, उसे लेकर भोपाल आना है। लेकिन पुलिस सुनती ही नहीं है।