हाल ही में आयोजित दिल्ली जल बोर्ड के एक कार्यक्रम में राजधानी के बदलते राजनीतिक परिदृश्य का नजारा देखने को मिला था. इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मंच साझा किया था. पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली की राजनीति को करीब से देखने वालों के लिए यह अपने आप में एक अलग नजारा था.
देश के सबसे बड़े सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के शिलान्यास के दौरान केजरीवाल ने केंद्र सरकार से मिले मदद के लिए धन्यवाद भी दिया. इतना ही नहीं, जब केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि इस योजना के लिए केंद्र से भी पैसे मिले हैं लेकिन होर्डिंग्स पर सिर्फ दिल्ली सरकार को ही जगह मिली है, इस पर केजरीवाल ने अपनी गलती स्वीकार की और कहा कि केंद्र को भी क्रेडिट दिया जाना चाहिए था.
सिग्नेचर ब्रिज के स्वागत के दौरान हुई थी तकरार
दिल्ली जल बोर्ड के कार्यक्रम में हुई इन गतिविधियों में क्या खास था, इसे समझने के लिए आपको फ्लैशबैक में जाना होगा. पिछले साल 4 नवंबर को सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन का कार्यक्रम दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी और आम आदमी पार्टी के विधायकों के बीच रण क्षेत्र बन गया था. इसका कारण सिर्फ इतना था कि तिवारी/बीजेपी को कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया था.
ये तो सिर्फ एक उदाहरण है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो एक समय में बीजेपी के बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने से भी नहीं चुकते थे. उन्होंने अरुण जेटली और नितिन गडकरी के खिलाफ आरोप लगाए. पीएम पर अपनी हत्या का साजिश रचने तक का आरोप लगा दिया. हालांकि जब गडकरी और जेटली मामले को लेकर कोर्ट पहुंचे तो केजरीवाल ने माफी मांगने में भी गुरेज नहीं की
मई में खत्म हुए लोकसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल के तेवर भगवा पार्टी के खिलाफ नरम नहीं पड़े थे. उन्होंने बीजेपी पर आम आदमी पार्टी को तोड़ने का आरोप लगाया. केजरीवाल की पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़ने वाले गौतम गंभीर पर अतिशी मार्लेना को बदनाम करने के लिए कैंपेन चलाने का अति गंभीर आरोप भी लगाया.
आम चुनाव में आप रही तीसरे नंबर पर
बीजेपी नेताओं के खिलाफ इन तमाम आरोपों और पार्टी के प्रति नाराजगी का आलम अब थम गया है. लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों ने अरविंद केजरीवाल को बता दिया है कि सिर्फ विरोध की राजनीति से काम नहीं चलने वाला. आम चुनाव में आप कांग्रेस से भी पीछे चली गई और दिल्ली में तीसरे नंबर पर रही. वहीं केजरीवाल का हर मौकों पर साथ देने वाले चंद्रबाबू नायडू का सूफड़ा साफ हो चुका है. बंगाल की मुख्यमंत्री को भी बीजेपी कड़ी टक्कर दे रही है.
बीजेपी की दिल्ली में आक्रामक रणनीति
आम आदमी पार्टी से टूटकर बीजेपी में जा रहे विधायक और भगवा पार्टी की आक्रामक रणनीति ने अरविंद केजरीवाल को केंद्र में सत्ताधारी दल के प्रति नरम रुख रखने के लिए मजबूर कर दिया है. बीजेपी ने दिल्ली सरकार की सबसे चर्चित शिक्षा और स्वास्थ्य नीतियों पर घेरना भी शुरू कर दिया है. बीजेपी ने क्लास रूम बनाने में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. वहीं स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पर मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सीबीआई जांच भी चल रही है. ऐसे अब बदले हुए हालात में शायद केजरीवाल के लिए बीजेपी के प्रति दोस्ती ही बेहतर विकल्प हो.