बीजेपी में नए अध्यक्ष के चुनाव के पहले नए राष्ट्रीय महासचिव संगठन कि
नियुक्ति कर दी गई है. बीजेपी के संगठन में वैसे तो 8 राष्ट्रीय महसाचिव
हैं, लेकिन पार्टी की राजनीति में महासचिव संगठन का पद अध्यक्ष के बाद सबसे
ताकतवर माना जाता है. संगठन महासचिव की भूमिका इसलिए महत्वूर्ण हो जाती
है, क्योंकि ये पद बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बीच तालमेल के
लिए बनाया गया और इस पर संघ से आया हुआ व्यक्ति ही बैठ सकता है. अपना
कार्यकाल पूरा कर वो संघ में वापस चला जाता है. ऐसे में इस महसचिव की
भूमिका और कद अन्य महासचिवों से बड़ा होता है और इसे बहुत महत्पूर्ण माना
जाता है.
कौन-कौन था रेस में
संगठन महसाचिव राम लाल के इस्तीफे के बाद मीडिया में कई नाम इस पद क
लिए चर्चा में थे. सबसे पहले जो नाम संगठन महसाचिव के लिए चर्चा मे आए वो
थे. वी सतीश और शिव प्रकाश के लेकिन संघ और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने इन
दोनों नामों को दरकिनार करते हुए बी एल संतोष के राष्ट्रीय महासचिव संगठन
की जिम्मदारी सौंपी.
संतोष कैसे बने संघ और बीजेपी की पहली पंसद
बी एल संतोष को ही ये महत्वूर्ण जिम्मेदारी क्यों दी गई. इस सवाल का जबाब संतोष के पुराने कामों को देखने से से मिल जाएगा. दरअसल, दक्षिण में बीजेपी की पहली जीत का श्रेय बीएल संतोष को ही जाता है, दक्षिण में पहली बार 2008 में कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बनी. उस समय बी एस संतोष संघ के कोटे से प्रदेश के संगठन महामंत्री थे. ऐसे में संतोष की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है हालंकि बाद में कर्नाटक के मुख्यमंत्री वाई एस येदुरप्पा और संतोष के बीच विवाद के कारण उन्हें राज्य क जिम्मेदारी से हटाकर बीजेपी की केन्द्रीय टीम में भेज दिया गया था