जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
छत्तीसगढ़ सहित देश का फेफ ड़ा कहें जाने वाले हसदेव अरण्य में अडानी के कोयला खदान का पुरजोर विरोध होने के कारण वहां पर अपना पैर पसारने में असफ ल होने पर अब अडानी की नजर धरमजयगढ़ के प्रस्तावित कोयला ब्लॉक पर है और उसने तमाम नियम कानून कायदे को तिलांजलि देकर अपने गुर्गों को यहां के गांव में भेज वातावरण तैयार करने लगा दिया है।
ग्रीन नोबेल पुरस्कार विजेता आलोक शुक्ला के नाम से अडानी की उड़ गई नींद
हसदेव अरण्य के मुद्दे को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा कर अडानी के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले आलोक शुक्ला ने जमीनी स्तर पर आंदोलन को खड़ा कर अडानी को परसा केते बासेन तक ही सीमित कर दिया और यह बता दिया कि जनता के हितों को दरकिनार कर आगे नहीं बढ़ सकता है अडानी।
हसदेव से भी बड़े आंदोलन को हो रही तैयारी
बहुत जल्दी धरमजयगढ़ में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यावरणविद् का हो सकता है महासम्मेलन जिसमें अडानी के खिलाफ सुनियोजित तरीके से लड़ाई लड़े जाने की रणनीति पर विचार किया जाएगा।