जोहार छत्तीसगढ़ धरमजयगढ़।
जिन-जिन केसों को ईडी ने दर्ज किया था, उनमें एफआईआर के बाद अब ईओडब्ल्यू-एसीबी कार्रवाई कर रही है। मई ‘में महादेव सट्टा एप मामले में जिन ठिकानों में छापेमारी की गई थी, उनमें धरमजयगढ़ स्थित अनिल अग्रवाल का मकान भी था। शनिवार को एसीबी की टीम इस मकान में घुसी और काफी देर तक तलाशी ली। बीते 9 मई को एसीबी-ईओडब्ल्यू की टीम ने प्रदेश के पांच जिलों में 29 ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह कार्रवाई महादेव सट्टा एप को लेकर की गई थी। सबसे पहले ईडी ने इस केस में कार्रवाई की थी तब पता चला था कि चार प्रमोटरों ने इस एप को बनाकर सैकड़ों करोड़ रुपए के वारे-न्यारे किए। धारा 120 बी, 420, 471 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत एफआईआर की गई थी जिसमें एप प्रमोटरों रवि उप्पल, सौरभ चंद्राकर, शुभम सोनी और अनिल कुमार अग्रवाल के अलावा 14 अन्य के भी नाम हैं। महादेव सट्टा एप के जरिए बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग हुई। हवाला के माध्यम से करोड़ों रुपए की फंडिंग हुई। अलग-अलग एकाउंट के जरिए रकम दुबई भेजी गई। इसमें चौथा प्रमोटर अनिल अग्रवाल धरमजयगढ़ का रहने वाला है। 9 मई को एसीबी ने अनिल के मकान में छापा मारा था। तब मकान को सील कर पजेशन में लिया गया था। शनिवार को एक बार फिर एसीबी टीम धरमजयगढ़ पहुंची। बताया जा रहा है कि अनिल अग्रवाल के मकान को दोबारा खंगाला गया। महादेव एप मामले में अनिल के मकान से कई दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए गए। पैनल ऑपरेटरों के माध्यम से अवैध रूप से सट्टा खिलवाया जाता था। इसमें 70-80 प्रतिशत राशि प्रमोटर खुद रखते थे। बाकी रकम पैनल ऑपरेटरों में बांटी जाती थी। कहा जा रहा है कि प्रतिमाह 450 करोड़ रुपए तक का कारोबार महादेव एप से हुआ है।
> लगातार हो रही गिरफ्तारियां
ईडी ने मामले की आगे की जांच एसीबी को दी है। आरोपी प्रमोटरों के विरुद्ध सबूत जुटाने के लिए पैनल ऑपरेटरों पर शिकंजा कस रहा है। एक-एक कर कई ऑपरेटरों को गिरफ्तार भी किया जा रहा है। इस केस में कई अधिकारी भी लपेटे में आ गए हैं। कई पुलिस अफसर भी हैं जिन्होंने प्रोटेक्शन मनी के रूप में रकम उगाही की। अनिल कुमार अग्रवाल भी फिलहाल फरार हैं। उनके दुबई में होने की संभावना जताई जा रही है।