जोहार छत्तीसगढ़-सुकमा।
मुलाकिसोली पंचायत में हुए फर्जी हस्ताक्षर से लेकर मनरेगा कार्य को जेसीबी से कराए सड़क निर्माण कार्य में हुए भ्रष्टाचार तक चर्चित मुलाकिसोली पंचायत में हुए भ्रष्टाचार को लेकर हर अखबार में छपता रहा जिसको देख सुकमा जिला प्रशासन ने जांच दल बिठाया गया। जो विगत दो माह बीत गए कछुए की चाल से चल रही यह जांच के चलते आज तक किसी प्रकार की कार्यवाही उक्त सचिव के ऊपर नहीं होना संदेह के दायरे में जा रहा है। भाजपा सुकमा जिला उपाध्यक्ष जीसाई रेड्डी का कहना है कि मुलाकिसोली पंचायत के सचिव ने सत्ता पक्ष के रौब दिखाते हुए भ्रष्टाचार के ऊपर भ्रष्टाचार करके पूरे सुकमा जिले में मुलाकिसोली पंचायत को सुर्खियों में लाया है और ये बात किसी से छिपी नहीं। मनरेगा सड़क निर्माण कार्य में कई सबूत मिलने के बाद भी उक्त सचिव के ऊपर किसी प्रकार का ठोस कदम नहीं उठाना यह साबित करता है कि मुलाकिसोली पंचायत में हो रहे घोटालों का तार ऊंचे स्तर तक फैला हुआ है। किनके शरण में इस प्रकार खुले आम भ्रष्टाचार पनप रही है ये जानना आवश्यक हो गया है।
2017-18 में मनरेगा कार्य में शुरू हुई भ्रष्टाचार आज भी बरकरार
जीसाईं रेड्डी का कहना है कि मुलाकिसोली पंचायत में भ्रष्टाचार की शुरुआत 2017-18 में मनरेगा कार्य के तहत समतलीकरण के नाम से हुआ था। उक्त कार्य में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ पंचायत सचिव के ऊपर आरोप लगाया गया था जिस पर जिला प्रशासन ने जांच के आदेश देकर जांच दल बिठाया गया था लेकिन जांच अधिकारियों ने सचिव से मिली भगत करके उक्त फ ाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। जिस पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होने को लेकर सचिव के हौसले बुलंद हुए उसके बाद से उक्त पंचायत में कई घोटाले करते आ रहे सचिव ने सरपंच पटेल के फ र्जी दस्तखत तक करके टेंडर प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। जिसके लिए एर्रा बोर थाने में मामला भी दर्ज कराया गया और उसकी जांच पूरी नहीं हुई उससे पहले मनरेगा के अंतर्गत 15 लाख के दो किलोमीटर मिट्टी सड़क को प्रशासकीय स्वीकृति होने के पहले ही मजदूरों के जगह जेसीबी से एक किलोमीटर तक का सड़क निर्माण करके पैसों को आहरण करवा लिया गया है। मुलाकिसोली पंचायत के सचिव के द्वारा खुले आम भ्रष्टाचार करते देख विगत दो माह पहले से अखबारों में बिंदु वार छपने के बाद भ्रष्टाचार में लिप्त सचिव के ऊपर जांच के आदेश जारी करके अधिकारियों के दल को भेजा गया है। जिस अधिकारी ने उक्त कार्य के लिए फर्जी तरीके से पैसों का भुगतान किया है उसी अधिकारी को जांच दल में रखना और 217-18 में जो अधिकारी जांच दल में शामिल थे वही अधिकारी आज के जांच दल में भी शामिल करना। इन सब को देखने से ऐसा लग रहा है इस प्रक्रिया को भी ठन्डे बस्ते में डालने का चाल साफ जाहिर होता है। जिसके कारण ही कछुए की चाल से जांच की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है।
आज तक मनरेगा मजदूरों के बैंक खाते नहीं खोले गए
मुलकिसोली पंचायत में आज तक मनरेगा मजदूरों के खाते नहीं खोले गए है। फिर मनरेगा कार्य सम्पन्न कैसे हुआ। 2017-18 में बैंक खातों को लेकर आरोप लगाया गया था उस पर उक्त पंचायत सचिव ने कोंटा बैंक की दूरी एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्र का बहाना बनाकर मनरेगा पैसों का बंदरबांट किया जा रहा था। लेकिन ढाई साल पहले इंजरम में बैंक खुला है। मुलाकिसोली से इंजरम की दूरी मात्र 3 किमी है। तो फिर मनरेगा मजदूरों के खाते क्यों नहीं खुलवाया गया है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि सचिव सत्ता के छत्र छाया में खुले आम भ्रष्टाचार में लिप्त है। निर्माण कार्यों के पैसों को पंचायत सचिव के खाते में जमा करवा लिया जाता है और सचिव अपनी मनमानी ढंग से उक्त पैसों का बंदरबांट करते आ रहा है।
मुलाकिसोली पंचायत के आदिवासी मजदूर तेलंगाना पलायन हो चुके
ग्रामीण क्षेत्रों में हर व्यक्ति को कार्यस्थल पर आधार भूत जरूरतों को ध्यान में रखकर 100 दिन का रोजगार मुहैया कराने तथा ग्रामीणों को पलायन करने से रोकने के लिए मनरेगा योजना लागू किया गया है लोगों को घर बैठे काम मिलेगा और निर्धारित मजदूरी भी। लेकिन अपनी निजी स्वार्थ को ध्यान में रखकर मुलाकिसोली पंचायत सचिव ने गरीबों के पेट में लात मारते हुए हर निर्माण कार्य को मजदूरों से न करवाकर जेसीबी मशीन करवाने के कारण आज उस पंचायत के गरीब आदिवासी मजदूर आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना के लिए पलायन हो चुके हैं। मुलाकिसोली पंचायत के हर कोने में भ्रष्टाचार की बू आ रही है। फर्जी दस्तखत का मामला हो या जेसीबी से सड़क निर्माण का मामला हो पूरा पूरा भ्रष्टाचार से ढका हुआ है इसके बाद भी अभी तक सचिव के ऊपर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होना यह साबित कर रहा कि 2017-18 जैसे ही इसको भी ठंडे बस्ते में डालने की फि राक में। निष्पक्ष जांच करके सचिव के ऊपर कार्यवाही नहीं करेंगे तो बहुत जल्द हम निम्न मुद्दों को लेकर सड़क में उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।