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वन विभाग के कार्यालय परिसर से जब्तशुदा वाहन गायब लापरवाही की हदें पार, उठ रहे गंभीर सवाल

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जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।

भ्रष्टाचार व विभागीय अधिकारियों की लापरवाही बरतने को लेकर सुर्खियों में रहने वाले वन विभाग में एक के बाद एक सनसनीखेज मामले सामने आ रहे हैं। वहीं कार्रवाई को लेकर विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली में भी कोई सुधार नहीं आया है। पहले की तरह या तो इस तरह की अधिकांश मामलों की फाइलें धूल फांकती रह जाती हैं या दिखावे के रूप में साधारण सी कार्रवाई कर दी जाती है। मंगलवार को रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ वन मंडल में दो बड़े मामले सामने आए। पहली घटना धरमजयगढ़ वन मंडल के बाकारूमा रेंज की है जहां जमाबीरा के जंगल में एक हाथी का पुराना शव बरामद हुआ। वहीं दूसरी सनसनीखेज घटना छाल वन परिक्षेत्र में सामने आई है जहां के कार्यालय परिसर में रखी एक ज़ब्त वाहन को अज्ञात चोर उड़ा ले गए। इस गंभीर मामले में अधिकारी की मनमानी व लापरवाही की सीमा पार करने का खुलासा उस वक्त हुआ जब विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस मामले में संबंधित रेंजर के द्वारा सिर्फ मौखिक जानकारी दी गई है, लिखित में इस घटना की कोई सूचना नहीं दी गई है। हालांकि उन्होंने संबंधित अधिकारी के हवाले से यह भी बताया कि थाने में सूचना दी गई है। बता दें कि लकड़ी तस्करी का गढ़ माने जाने वाले छाल रेंज अंतर्गत बीते अगस्त माह में बीजा लकड़ियों के लठ्ठों से भरे पिकअप वाहन को विभाग के द्वारा ज़ब्त किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि छाल रेंज के गलिमार क्षेत्र में छापेमारी कर इस वाहन को विभागीय टीम के द्वारा देर रात पकड़ा गया था और इस टीम का नेतृत्व खुद छाल रेंजर एम एस मर्सकोले कर रहे थे। तब ली गई एक फ़ोटो में छाल रेंजर अपनी टीम के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं। इस कार्रवाई के संबंध में कई मीडिया समुहों में प्रमुखता से खबर भी प्रकाशित हुआ। जिसके बाद विभाग के द्वारा जब्त वाहन को राजसात किये जाने की कार्यवाही की जा रही थी। हालांकि विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक इस वाहन को राजसात किये जाने की फ़ाइल अब तक रेंज स्तर पर ही लटकी हुई है। इस बीच अज्ञात लोगों ने कार्यालय परिसर के भीतर से ज़ब्त पिकअप वाहन को पार कर दिया। बता दें कि चोरों ने दबंगई के साथ विभागीय सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए कार्यालय के मेन गेट से वाहन को निकाल ले गए। जानकारी के अनुसार जिसके बाद इस मामले में कई संदिग्धों को कस्टडी में लेते हुए उनकी जमकर खातिरदारी की गई लेकिन विभाग के हाथ कुछ नहीं लगा। करीब आठ से दस दिन पहले हुई इस वारदात की जानकारी अब तक विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं देना, पुलिस को जानकारी दिए जाने के बाद भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं होना यह बताता है कि मामले को दबाने के लिए संगठित तौर पर प्रयास किया गया।
तो अब बात सुरक्षा व्यवस्था की करें तो यह सवाल लाज़मी है कि क्या कार्यालय परिसर की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है? ऐसा इसलिए कि ज़ब्त वाहन के सामने के दोनों टायर व बैटरी निकाल लिया गया था तो चोरों ने कैसे इतनी आसानी से उस गाड़ी को परिसर से निकाल लिया। इतनी बड़ी घटना की जानकारी सिर्फ मौखिक रूप से अधिकारी को देना न सिर्फ अधिकारी के हद दर्जे की लापरवाही बल्कि उनके विभागीय कर्तव्यों के निर्वहन में घोर अनियमितता को भी दर्शाता है। सवाल वरिष्ठ अधिकारी पर भी खड़े होते हैं क्योंकि जब उन्हें इस बात की मौखिक रूप से जानकारी प्राप्त हुई तो उन्होंने अपने स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की बल्कि लिखित शिकायत का इंतजार करते रहे। इस पूरे मामले में धरमजयगढ़ एसडीओ बाल गोविंद साहू ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि इस मामले की मौखिक जानकारी प्राप्त हुई है। संभवतः संबंधित अधिकारी के द्वारा थाने में भी सूचना दी गई है। आगे इस मामले में आवश्यक कार्रवाई की जायेगी। कार्रवाई किस पर की जाएगी का सवाल फिलहाल अनुत्तरित है। क्योंकि चोर अज्ञात हैं, गाड़ी गायब है।अब कार्रवाई के लिए बच गए विभाग के जिम्मेदार तो विभागीय जांच शुरू होने से पहले ही जब इस मामले को यथासंभव दबाने का सामुहिक प्रयास किया गया तो आगे इस मामले की जांच में वरिष्ठ अधिकारियों की कार्यशैली क्या होती है यह देखना काफी दिलचस्प होगा।

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