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किसान-प्रशासन के बीच एक और दौर की वार्ता महापंचायत भी होगी

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नई दिल्ली । करनाल लघु सचिवालय (करनाल मिनी सेक्रेटेरिएट) के सामने कड़ी सुरक्षा में किसानों का धरना शुक्रवार को चौथे दिन भी जारी रहा। लाठीचार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम को निलंबित कराने पर किसान अड़े हुए हैं जबकि प्रशासन झुकने को तैयार नहीं है। किसान संघ के नेता और करनाल जिला प्रशासन शनिवार को एक और दौर की वार्ता करेंगे। दोनों पक्षों ने इस बैठक में गतिरोध दूर करने पर सहमति बनने की उम्मीद जताई है। शुक्रवार को चार घंटे चली मैराथन बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल सका। वहीं आगे की रणनीति के लिए किसान यहां शनिवार को महापंचायत करेंगे। वहीं, शुक्रवार को पंजाब से सैकड़ों किसान धरने को समर्थन देने पहुंचे। हालांकि, माना जा रहा है कि प्रशासन आज किसानों से बातचीत कर सकता है। इधर, किसान नेता गुरनाम चढूनी ने शुक्रवार को कहा कि प्रशासन की ओर से वार्ता का निमंत्रण आया तो जाएंगे। मगर उधर से कोई निमंत्रण नहीं आया। उन्होंने कहा शनिवार को धरना स्थल पर महापंचायत होगी जिसमें आंदोलन की समीक्षा की जाएगी। इसमें प्रदेश के सभी किसान संगठनों के नेता और संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारी हिस्सा लेंगे। जिला प्रशासन ने धरने पर बैठे किसानों और सुरक्षाकर्मियों की सुविधा के लिए अलग-अलग स्वास्थ्य सुविधा केंद्र खोले। इन केंद्रों पर आंदोलनकारी भी प्राथमिक उपचार ले रहे हैं। लघु सचिवालय परिसर में दो हजार सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। इन केंद्रों पर दर्द निवारक के अतिरिक्त अन्य विभिन्न प्रकार की दवाइयां उपलब्ध कराई गई हैं। छह एंबुलेंस भी तैनात हैं। दूसरी ओर धरने पर बैठे किसानों का साथ देने के लिए पंजाब से सैकड़ों किसान शुक्रवार को करनाल पहुंचे। इससे पहले हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर अंबाला के शंभू टोल प्लाजा पर पंजाब की ओर से एक हजार वाहनों का काफिला सुबह 11 बजे पहुंचा। शंभू टोल प्लाजा पर भाकियू के वरिष्ठ नेता विजेंद्र सिंह कांबोज ने किसान नेताओं को सिरोपे भेंट करते हुए कहा कि जब तक तीनों कानून वापस नहीं होते, किसान धरना-प्रदर्शन जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, यहां से कुछ किसान करनाल में डेरा डालेंगे जबकि बाकी किसान आगे दिल्ली में सिंघु बॉर्डर के लिए रवाना होंगे। करनाल के उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने कानून-व्यवस्था बनाने में सहयोग की अपील की है। उन्होंने कहा, सरकारी कामकाज सामान्य रूप से चल रहा है। जीटी रोड सहित जिले की किसी भी सड़क को न तो आंदोलनकारियों ने बंद किया और न ही आगे बंद करने दिया जाएगा। यदि कोई कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश करेगा तो प्रशासन उससे सख्ती से निपटेगा।

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