बिलासपुर। कोरिया जिले के बरकेला में पदस्थ शिक्षा कर्मी वर्ग तीन को जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने 10 साल पहले सेवा से बर्खास्त कर दिया था। इस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता शिक्षाकर्मी को राहत देते हुए जनपद पंचायत सीइओ के आदेश को निरस्त कर दिया है। भूपेंद्र सिंह ने अधिवक्ता नरेंद्र मेहर व दीक्षा गौरहा के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें बताया गया कि उनकी नियुक्ति वर्ष 2005 में शिक्षाकर्मी वर्ग तीन के पद पर हुई थीं। इस बीच वर्ष 2010 में उन्हें नियमित कर दिया गया। लेकिन बाद में वर्ष 2011 में जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने उन्हें यह कहते हुए बर्खास्त कर दिया कि उनका जाति प्रमाण पत्र को मनेंद्रगढ़ के अनुविभागीय अधिकारी ने निरस्त कर दिया है।
याचिका में जनपद पंचायत सीईओ के आदेश को चुनौती दी गई है। साथ ही उनके आदेश को अवैधानिक बताया गया। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति शिक्षाकर्मी भर्ती नियम 1997 के तहत हुई है। इस नियम के तहत सेवा से बर्खास्त करने का अधिकार सामान्य प्रशासन समिति को है। ऐसे में जनपद पंचायत के सीईओ को उन्हें बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है। इस मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जनपद पंचायत सीईओ द्वारा जारी उनके बर्खास्तगी आदेश को निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही वेतन भुगतान के लिए नियम 54 के तहत याचिकाकर्ता के आवेदन करने पर 60 दिन के भीतर वेतन संबंधी प्रकरण का निराकरण करने का भी आदेश दिया है।