नई दिल्ली । कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट के उभार ने एक बार फिर भारत से लेकर दुनियाभर कि सरकारों और विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है। डेल्टा प्लस वेरिएंट डेल्टा का म्यूटेशन से आया है। डेल्टा को भारत में दूसरी लहर में तबाही के लिए जिम्मेदार माना जाता है। डेल्टा प्लस वेरिएंट के केस 11 देशों में मिल चुके हैं और यह अल्फा की तुलना में 35-60 फीसदी अधिक संक्रामक है। आइए जानते हैं डेल्टा प्लस से कितना खतरा है और क्या यह तीसरी लहर के लिए जिम्मेदार हो सकता है। यह नया स्वरूप डेल्टा प्लस (एवाई.1) भारत में सबसे पहले सामने आए डेल्टा (बी.1.617.2) में म्यूटेशन से बना है। इसके अलावा के41एन नाम का म्यूटेशन जो दक्षिण अफ्रीका में बीटा वेरिएंट में पाया गया था उससे भी इसके लक्षण मिलते हैं। इसलिए यह ज्यादा खतरनाक है। भारत के शीर्ष विषाणु विज्ञानी और इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोम सिक्वेंसिंग कंसोर्टियम के पूर्व सदस्य प्रोफेसर शाहिद जमील ने कहा है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट वैक्सीन और इम्युनिटी दोनों को चकमा दे सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि डेल्टा प्लस में वे सारे लक्षण हैं जो डेल्टा वेरिएंट में थे।
साथी ही बीटा वेरिएंट के लक्षण भी इसमें हैं। हमें पता है कि वैक्सीन का असर बीटा वेरिएंट पर कम है। बीटा वेरिएंट वैक्सीन को चकमा देने में अल्फा और डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा तेज है। हालांकि, सरकार ने अध्ययनों के हवाले से कहा है कि डेल्टा वेरिएंट पर कोविशील्ड और कोवैक्सीन प्रभावी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारतीय सार्स कोव-2 जनोमिक्स कंसोर्टियम के हवाले से डेल्टा प्लस को वर्तमान में चिंताजनक बताया है। दरअसल, वायरस के किसी वेरिएंट तब चिंताजनक बताया जाता है जब वह अधिक संक्रामक हो और गंभीर रूप से बीमार कर सकता है। डब्ल्यूएचओ भी इस पर नजर बनाए हुए है। भारत में डेल्टा प्लस वेरिएंट का प्रसार सीमित है, लेकिन हमें सतर्क रहने की जरूरत है। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करके इससे काफी हद तक बचा जा सकता है। डेल्टा प्लस समेत दूसरे वेरिएंट के मद्देनजर अगले 6-8 हफ्ते बेहद महत्वपूर्ण हैं। डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ कोवैक्सीन और कोविशील्ड असरदार हैं। वैक्सीनेशन के बाद अस्पतालों में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ेगी।