बिलासपुर । ये तस्वीरें है तोरवा पुल और राजकिशोर नगर के बीच की। सड़क को छोड़ दोनों तरफ जिधर नजर दौड़ा लीजिये पालीथिन का अंबार लगा है, पन्नियों के चिथड़े उड़कर पेड़ो पर लटक रहे। ये न तो जिम्मेदारों को दिखा न पर्यावरण विभाग को, इन सबको नजरअंदाज कर गत 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस की औपचारिकता पूरी कर पौधारोपण कर पर्यावरण के संरक्षण का संकल्प ले लिया गया।
निगम के लगभग 5 करोड़ के मासिक सफाई की गन्दगी रोजाना कचरा डंपिंग यार्ड कछार के बजाय यही छठघाट के सामने डम्प कराई जा रही.। कोई देखने वाला नही है, इसके चलते एक तरफ खुले में कचरे और पालीथिन के चीथड़ों का अंबार लगा है। निगम और ठेका कम्पनी की गाडिय़ां यहां रोजाना कचरा डम्प कर रही है। आंधी चलने के कारण एक साइड के पालीथिन उड़कर सड़क पार छठघाट तरफ पेड़ और बिजली के तार तथा घेरे गए बाड़ से लटक रहे, पेड़ो पर लटके पालीथिन के चिथड़े हवा से पतंग की तरह लहरा रहे है।
सवाल यह उठता है कि जब कुछ करना ही नही है तो फिर दिवस का चोचला क्यो। दिवस इसलिए मनाया जाता है कि नई पीढ़ी को एक दिशा एक सन्देश मिल सके तो क्या यही पर्यावरण का संदेश है, बस खानापूर्ति।