भोपाल/ग्वालियर । राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया 3 दिन तक जिस विरोध से बचते रहे आखिरकार उसका सामना शनिवार सुबह उनको करना ही पड़ा। दिल्ली के लिए निकलने से पहले ग्वालियर के गोला का मंदिर चौराहा पर एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने उनको घेर लिया। अचानक कार के सामने आए एनएसयूआई कार्यकर्ताओं को देखकर उनको गाड़ी रोकनी पड़ी। एनएसयूआई ने उनको धिक्कार पत्र और बेशरम के फूल दिए। पत्र में लिखा था जब लोग कोरोना से मर रहे थे तब आप कहां थे। इसके बाद धिक्कार पत्र को पढ़ते ही सिंधिया का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उन्होंने गाड़ी का कांच चढ़ाया और निकल गए।
भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया तीन दिन के अंचल के दौरे पर थे। कोविड की दूसरी लहर के बाद किसी भी नेता का यह अंचल में पहला दौरा था। पूरे कोरोना काल में गायब रहने पर सिंधिया का विरोध पहले से ही हो रहा था, लेकिन उनके दौरे के तीन दिन सुरक्षा व्यवस्था काफी चौकस थी। पुलिस किसी भी संदिग्ध को उनके पास नहीं जाने दे रही थी। पुलिस ने दो दिन में कुछ ऐसे लोगों को नजरबंद भी किया था जो हरकत कर सकते थे। इनमें हृस्ढ्ढ के नेता ज्यादा थे। शुक्रवार को हृस्ढ्ढ का नेता वंश माहेश्वरी को पुलिस ने नजरबंद कर लिया था। हृस्ढ्ढ के प्रमुख नेता सचिन द्विवेदी को तलाश किया जा रहा था। तीन दिन विरोध से बचते हुए सिंधिया ग्वालियर में रहे, लेकिन शहर छोडऩे से पहले उनको विरोध का सामना करना ही पड़ा।
एनएसयूआई का आरोप
एनएसयूआई नेता सचिन ने बताया कि उन्होंने बेशरम का फूल दिया है। यह वह फूल होता है जो कहीं भी किसी भी हालत में उग जाता है। इसलिए इसे बेशरम कहा जाता है। साथ ही धिक्कार पत्र दिया है। इसमें पूछा गया है कि जब कोरोना संक्रमण से लोग मर रहे थे तब आप कहां थे। जैसे ही कोरोना वायरस चला गया तो आप ग्वालियर-चंबल और भोपाल में दिखने लगे। घर-घर जाकर लोगों की मौत का मजाक उड़ा रहे है। आप राजनीति में भी अवसर तलाश रहे हैं।