रायपुर । मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि जो लघु वनोपज किसी समय शोषण का जरिया थी, वे राज्य सरकार की योजनाओं से आज वनवासियों की ताकत बन गई हैं। राज्य सरकार ने वनवासियों को वन अधिकार पट्टा देने के साथ वनों के संसाधनों पर गांवों को भी अधिकार दिया है। मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना का लाभ लेने के लिए किसानों के साथ-साथ ग्रामीण और पंच-सरपंचों में भी इस योजना के माध्यम से अपनी पंचायत की आमदनी बढ़ाने के लिए उत्साह दिख रहा है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में गरियाबंद और कबीरधाम जिले में विकास कार्याें के लोकार्पण और भूमिपूजन के वर्चुअल कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने दोनों जिलों को लगभग 582 करोड़ रूपए की लागत के 1270 कार्याें की सौगात दी। उन्होंने गरियाबंद जिले के लिए 357 करोड़ 23 लाख रूपए की लागत के 516 कार्याें का और कबीरधाम जिले में 224 करोड़ 75 लाख रूपए की लागत के 754 कार्याें का लोकार्पण और भूमिपूजन किया और दोनों जिलों में विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों से चर्चा कर योजनाओं का फीड बेक लिया।
मुख्यमंत्री ने हितग्राहियों से चर्चा के बाद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के गांवों को जैसा आकार देने की राज्य सरकार की सोच थी, हमारे गांव वैसा ही आकार ले रहे हैं। राज्य सरकार की योजनाओं के माध्यम से किसानों की आय बढ़ रही है, खेतों के लिए पानी की व्यवस्था हो रही हैै, माता-बहनों और बच्चों को सुपोषण मिल रहा है और लोगों को रोजगार मिल रहा है। महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाकर उनके सशक्तिकरण की परिकल्पना भी सुराजी गांव योजना से साकार हो रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में जब पूरे देश को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा था, तब भी छत्तीसगढ़ के गांवों में हमारी बहनों ने उत्पादन किया और अच्छी आमदनी प्राप्त की। वनोपजों के संग्रहण से वनवासी नून-तेल का खर्च भी मुश्किल से निकाल पाते थें, वहीं बिचौलिए और बड़े-बड़े व्यापारी वनोपजों को खरीदकर लाखों कमाते थे। राज्य सरकार ने 52 प्रकार की वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की पहले सिर्फ 7 प्रकार की वनोपजें ही समर्थन मूल्य पर खरीदी जाती थी। वनोपजों के संग्रहण के साथ प्रसंस्करण का काम भी महिला स्व-सहायता समूहों को दिया गया, जिससे वे आत्मनिर्भर बन रही है।
छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्रहण की पारिश्रमिक 2500 रूपए से बढ़ाकर देश में सबसे ज्यादा 4 हजार प्रति मानक बोरा कर दी गई है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना से किसानों को उनकी फसल के लिए आदान सहायता मिल रही है, इस वर्ष योजना का विस्तार किया गया है। सुराजी गांव योजना में स्थापित गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट के साथ-साथ साग-सब्जी उत्पादन और विभिन्न आर्थिक गतिविधियों से बड़ी संख्या में महिलाओं को कोरोनाकाल में भी रोजगार मिला है। गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने इस अवसर पर कहा कि बेरोजगार युवाओं को निर्माण विभागों में रोजगार दिलाने के लिए उनका ई-श्रेणी में अधिक से अधिक संख्या में पंजीयन कराया जाए। ई-श्रेणी में पंजीयन कराने वालों को ब्लॉक स्तर पर 20 लाख रूपए तक के निर्माण कार्य मेनुअल टेंडर पर देने का प्रावधान है। इसके साथ ही साथ काम शुरू करने के लिए ई-श्रेणी के पंजीयनधारियों को काम शुरू करने के लिए कार्य की लागत की 5 प्रतिशत राशि अग्रिम के रूप में देने का प्रावधान किया गया है।
वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि हरियाली प्रसार योजना के तहत वृक्षारोपण करने वाले हितग्राहियों को प्रति पौधा एक रूपए देने का प्रावधान है, जिसे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने बढ़ाकर चार रूपए प्रति पौधा करने की स्वीकृति दे दी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना पर्यावरण के संरक्षण और हरियाली बढ़ाने की दृष्टि से एक क्रांतिकारी योजना साबित होगी।
कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि तीन दिन में दुर्ग, बालोद, महासमुन्द, बलौदाबाजार, गरियाबंद और कबीरधाम जिले में तीन दिनों में 1847 करोड़ रूपए के नए विकास कार्याें का लोकार्पण और भूमिपूजन किया गया है। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम और महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेड़िया ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री के सलाहकार द्वय श्री प्रदीप शर्मा और श्री रूचिर गर्ग, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू भी उपस्थित थे। राजनांदगांव सांसद श्री संतोष पाण्डेय, महासमुन्द सांसद श्री चुन्नीलाल साहू, विधायक श्रीमती ममता चंद्राकर और श्री अमितेष शुक्ल सहित पंचायत और नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधि भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम में जुड़े।