भोपाल । आगामी 10 जून को सूर्य ग्रहण का भारत में धार्मिक दृष्टि से कोई महत्व नहीं होगा, ना ही इस ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार का यम नियम सूतक आदि मान्य होगा। वर्ष 2020 की तरह 2021 का यह साल भी कई खगोलीय घटनाओं का गवाह बनने जा रहा है। इस खगोलीय घटना के साथ कई विलक्षण संयोग भी जुड़ रहे हैं। अभी 26 मई को वर्ष 2021 का पहला चंद्र ग्रहण लगा और अब आगामी 10 जून को इस साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है, यानी 15 दिन के भीतर लगातार दो ग्रहण का योग बना है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार वर्ष 2020 में 1 महीने के भीतर तीन ग्रहण लगे थे और 15 दिनों की अवधि में दो ग्रहण का संयोग बना था। 5 जून 2020 को चंद्र ग्रहण लगा था 15 दिन बाद 21 जून को सूर्य ग्रहण लगा था और 5 जुलाई को तीसरा चंद्र ग्रहण लगा था। ज्योतिष शास्त्र में इतनी कम अवधि के भीतर ग्रहण लगने को कतई अच्छा नहीं माना जाता, इन लगातार कम समय में पडऩे वाले ग्रहण के कारण देश दुनिया में समस्याएं बढ़ती हैं और प्राकृतिक आपदाएं कहर मचाती हैं। महाभारत काल में ग्रहण का ऐसा ही एक दुर्लभ खगोलीय संयोग बना था। महाभारत के 18 दिन के युद्ध के दौरान पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण तो 13 दिन बाद सूर्य ग्रहण लगा था। सूर्य ग्रहण के दौरान अर्जुन ने जयद्रत का वध करने में सफलता पाई थी। जयद्रत का वध ना होता तो युद्ध का परिणाम कुछ भी हो सकता था। अभी 26 मई को इस साल का पहला चंद्र ग्रहण लगा उस दिन वैशाख पूर्णिमा थी, यानी बुद्ध पूर्णिमा थी और अब 10 जून को पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है, उस दिन शनिचरी अमावस्या भी है। जिसे शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन जातक शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करते हैं और शानि जनित पीड़ा से मुक्ति पाते हैं। इसके साथ ही इसी दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए बट सावित्री व्रत भी रखेंगी और बरगद के पेड़ की पूजा परिक्रमा करके कथा सुनेंगी। इसलिए आगामी 10 जून हिंदू धर्म में जुड़े तीन खास त्योहार होने के कारण यह दिन खास रहने वाला होगा।
15 दिन में दो ग्रहण होने से यह पड़ेगा प्रभाव
शनि जयंती पर सूर्य ग्रहण होने से मौसम में अचानक बदलाव हो सकता है। तेज हवा आंधी के साथ भूकंप आने की आशंका बन रही है। इसके अलावा सीमा पर तनाव तथा औद्योगिक विकास कार्यों में भी गिरावट देखने को मिल सकती है, लेकिन कोरोना संक्रमण की शक्ति अब धीरे-धीरे कम होती नजर आएगी।