भोपाल । अपनी मांगों को लेकर संविदाकर्मियों की हड़ताल आज दूसरे दिन
भी जारी रही। संविदाकर्मियों को अधिकारियों द्वारा मनाने की कोशिश भी बेकार चली गई। मंगलवार सुबह 10 बजे तक 75 से 80 फीसद कर्मचारी अस्पताल व टीकाकरण केंद्रों तक नहीं पहुंचे हैं। नियमित कर्मचारियों के उपर दबाव आ गया है। जेपी और हमीदिया अस्पताल के वार्ड खाली है। 20 फीसद नर्से ही काम कर रही हैं। भर्ती मरीजों को सुबह की शिफ्ट में जो इंजेक्शन लगने थे और दवाईयां दी जानी थी उसमें देरी हो गई है। शहर से लेकर जिलों तक में टीकाकरण केंद्रों पर एक या दो कर्मचारी होने के कारण टीकाकरण प्रभावित है। लोगों को अधिक समय तक अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। दवा वितरण केंद्रों का भी यही हाल है। हमीदिया अस्पताल में जहां दो कर्मचारी दवा बांटते हैं वहां सुबह 10 बजे तक एक ही कर्मचारी ने दवा बांटी है।संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की माने तो मंगलवार सुबह से उनके पास राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र इकाई के कुछ अधिकारियों के कॉल आ रहे हैं। वे एक ही बात कह रहे हैं कि टीकाकरण करवा दो, फिर हड़ताल पर चले जाना। अधिकारियों की यह बात हड़ताल संविदाकर्मी मानने को तैयार नहीं है। सोमवार हड़ताल का पहला दिन था। अधिकारियों ने हड़ताल स्थगित कराने की पूरी कोशिशें की। सुबह मिशन के अपर संचालक डॉ. पंकज शुक्ला, फिर एमडी छवि भारद्वाज और शाम को अपर मुख्य सचिव ने कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल से चर्चा की। सबने कहा, कि मांगे तो उचित है लेकिन अभी रूकना पड़ेगा। शासन स्तर से बातचीत करके हल निकालेंगे। इस तरह पहले दिन बात नहीं बनी है। सोमवार सुबह 10 बजे तक शासन स्तर से कर्मचारियों की कोई बात नहीं हुई है। कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में संविदा स्वास्थ्यकर्मियों को सरकार की 2018 की नीति के अनुरूप नियमित पदों के सामान 90 फीसद वेतन नहीं दिया जा रहा हैं। सरकारी भर्तियों में 20 फीसद आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। निकाले गए संविदा कर्मियों को बहाल नहीं किया गया। सपोर्ट स्टॉफ की सेवाएं 12 साल तक संविदा पर ली। 2019 से आउटसोर्स एजेंसी को दे दी। वह शोषण करा रही है। सरकार ने 2018 में जो संविदा नीति लागू की, उसका अधिकारी पालन नहीं करवा पा रहे हैं।