बिलासपुर । आज बड़े हर्ष का विषय है की 12 मई 2021 को पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय नर्सेस डे की 201 वी वर्षगांठ मनाई गई फ्लोरेंस नाईटिंगेल द लेडी ऑफ लैंप का जन्म 12 मई 1820 के दिन इटली में हुआ था। जो नर्सिंग की जन्म दाता है। प्रांत अध्यक्ष देवश्री साव ने बताया कि आज वैश्विक महामारी में जब लोग अपने घरों में सुरक्षित हैं।
समस्त नर्स स्टाफ अपनी सेवा कोविड मरीजों को दे रही हैं और लगभग सिम्स में 70 प्रतिशत स्टाफ नर्स कोरोना पॉजिटिव हो चुकी है एवं स्वस्थ होने के उपरांत अपनी सेवाओं को सारे जिम्मेदारी से वहन कर रही है एवं इस दौरान अपने परिवार से दूर रहकर इन सेवाओं को सुचारू रूप से कर रहे हैं।
डॉक्टर को यदि धरती का भगवान कहा जाता है, तो नर्स उस भगवान की सहायिका हैं. इनके बिना धरती के भगवान भी असहाय महसूस करते हैं. डॉक्टर मरीज की स्थिति देखने के बाद चले जाते हैं, लेकिन पूरी बीमारी के दौरान मरीज़ की देखभाल कर उन्हें स्वस्थ करने तक की जिम्मेदारी नर्सें निभाती हैं. कोरोना काल में भी मरीज के इलाज से लेकर वैक्सीनेशन तक में जिन्होंने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सचमुच उनके इस कार्य को सैल्यूट तो बनता आज पूरे विश्व मे इंटरनेशनल नर्स डे मनाया जाता है हमारे नगर की सिम्स में कार्यरत नर्सों ने भी यह दिवस मनाते हुए हर हाल में सदैव मानव सेवा हेतु शपथ भी ली आज हम आपको बता रहे हैं उन नर्सो की जिन्होंने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर पूरे कोरोना काल में न सिर्फ मरीजों की सेवा की, बल्कि अपने परिवार से भी ऊपर मरीजों को रखा सविता यादव दीपिका यादव, संदीप कौर, निर्मला राव, मेनका, राजकुमारी हिरवानी।
ये सभी नर्स अपने घर परिवार व छोटे बच्चों को छोड़ कर कोरोना काल मे संक्रमितों की देखभाल में डयूटी करते हुए कोरोना पॉजिटिव हुई और फिर पूर्ण रुप से स्वस्थ लाभ लेकर पुन: ड्यूटी मे मरीजों की देख भाल में लग गई ऐसा करके उन्होंने मानवता की नई मिसाल पेश की है।