कोरबा कोरोना संक्रमण काल का उद्योगों में जहां विपरित असर पड़ रहा है वहीं कोयला खदान में कार्यरत मजदूरों के नए वेतन समझौता का रास्ता खुल गया। ज्वाइंट बेपरटाईट कंसलटेटिव कमेटी जेबीसीसीआई.11 का गठन करने कोल मंत्रालय ने स्वीकृति जता दी पर सीआईएल को मौजूदा श्रम कानूनों के तहत कार्रवाई करने कहा गया है। कमेटी गठन के बाद जानकारी कोल मंत्रालय को देनी होगी। नया वेतनमान आगामी एक जुलाई 2021 से लागू होना है।
साउथ इस्टर्न कोल फिल्ड्स लिमिटेड एसईसीएल समेत कोल इंडिया लिमिटेड सीआईएल की आठ आनुषांगिक कंपनी व एससीसीएल में कार्यरत मजदूरों का नया वेतनमान लागू होना है। वेतनमान निर्धारण के लिए श्रमिक संघ प्रतिनिधियों व प्रबंधन की संयुक्त कमेटी जेबीसीसीआई का गठन किया जाता है। कोल इंडिया ने कमेटी गठन के लिए कोयला मंत्रालय को पत्र लिख कर अनुमति मांगी थी। इस पर मंत्रालय के उपसचिव रामशिरोमणि सरोज ने शुक्रवार को सीआईएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक को पत्र लिख कर जेबीसीसीआई.11 गठन करने की स्वीकृति प्रदान कर दी। पत्र में श्री सरोज ने कहा कि जेबीसीसीआई गठन के प्रस्ताव पर मंत्रालय ने जांच कर निर्णय लिया है कि सीआईएल दिशा निर्देशों के तहत कार्यवाही करने कहा गया है। पब्लिक इंटरप्राइजेज डीपीई ने 24 नवंबर 2017 के आदेश रद्द कर दिया है और वर्तमान में लागू नए श्रम कानूनों के तहत कार्रवाई करने कहा है। जेबीसीसीआई गठन के बाद मंत्रालय को रिकार्ड के लिए प्रति भेजने भी कहा गया है। इसके साथ ही सीआईएल, एससीसीएल, निजी कोयला कंपनियों व सीटीयूएस के प्रबंधन के प्रतिनिधियों की भागीदारी भी कमेटी में निश्चित करना है। श्रमिकों की मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, फ्रिंज लाभ पर भी डिपार्टमेंट आफ पब्लिक इंटरप्राइजेज डीपीई के निर्देशों का पालन किया जाएगा।
जेबीसीसीआई गठन की मंजूरी मिलने पर कोयला कामगारों ने राहत की सांस ली है। संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही कमेटी का गठन कर लिया जाएगा। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि एसईसीएल में वर्तमान में लगभग 51 हजार कर्मचारी विभिन्ना पदों पर कार्यरत हैं। वहीं कोल इंडिया में यह जेबीसीसीआई 11 में इंटक के किस गुट के प्रतिनिधित्व दिया जाए इस पर पत्र में स्पष्ट कर दिया गया है कि न्यायालय के आदेश को ध्यान में रखते हुए संबंधित गुट को प्रतिनिधित्व दिया जाए। वर्तमान में इंटक तीन गुट में बंटी हुई है। गुटबाजी की वजह से पिछली बार इंटक को सभी कमेटियों से बाहर कर दिया गया था। उस वक्त न्यायालय से भी इंटक को राहत नहीं मिल पाई थी। वर्तमान में गुटबाजी का मामला न्यायालय में विचाराधीन है।