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‎निजी कंपनियों को मिल सकती है वैक्सीन बनाने की अनुमति

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नई दिल्ली । केंद्र सरकार कोरोना टीकाकरण अभियान को तेज करने के लिए स्वदेशी टीके कोवैक्सीन के निर्माण की अनुमति कुछ और सरकारी तथा निजी कंपनियों को भी देने के विकल्प पर विचार कर सकती है। जानकारी के अनुसार शीर्ष स्तर पर इस बात पर मंथन चल रहा है और टीकाकरण पर बने वैज्ञानिकों के समूह की राय भी इसके पक्ष में है। केंद्र सरकार को मौजूदा पेटेंट कानूनों के तहत यह अधिकार है कि वह आपात जन स्वास्थ्य की परिस्थितियों के चलते किसी दवा या टीके के निर्माण की अनुमति दूसरी कंपनियों को भी दे सकती है ताकि उसकी उपलब्धता को बढ़ाया जा सके। 18 साल से अधिक आयु के लोगों को टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किए जाने के बाद आने वाले दिनों में टीके की मांग में भारी बढ़ोतरी होने का अनुमान है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार टीकाकरण अभियान को तेज करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। ऐसे में सरकार के पास स्वदेशी टीके का तत्काल उत्पादन बढ़ाना ही एकमात्र विकल्प हो सकता है। इसके लिए सरकार कुछ और सरकारी और निजी दवा कंपनियों को अनिवार्य लाइसेंस जारी कर टीका बनाने की अनुमति दे सकती है। सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट को कोविशिल्ड की 11 करोड़ और भारत बायोटेक को कोवैक्सीन की पांच करोड़ डोज के लिए आर्डर दे रखा है जिसकी आपूर्ति अगले मई, जून और जुलाई में होनी है। लेकिन यदि यह आपूर्ति समय पर होती भी है तो इससे तीन महीनों तक मौजूदा रफ्तार से भी टीकाकरण जारी रखना संभव नहीं होगा। जबकि सरकार टीकाकरण तेज करना चाहती है। अभी 20-25 लाख टीके रोज लगाने का औसत है। कुछ समय पूर्व सरकार ने मिशन कोविड सुरक्षा के तहत तीन और सरकारी कंपनियों में कोवैक्सीन के उत्पादन का ऐलान किया था। इनमें यूपी स्थित बिबकोल, हैदराबाद स्थित आईआईएल तथा मुंबई स्थित हापकिन बायो फार्मास्युटिकल शामिल हैं। तीनों सरकारी कंपनियां हैं जिनमें उत्पादन शुरू होने में अभी समय लगेगा। कोवैक्सीन को आईसीएमआर और भारत बायोटेक ने मिलकर विकसित किया है। सरकार कोवैक्सीन के साथ-साथ कोविशिल्ड या भविष्य में देश में बनने वाली किसी अन्य टीके का निर्माण भी इस प्रकिया से करा सकती है। इस बारे में जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई लेकिन सफलता नहीं मिली। यह मांग उठ रही है कि कोरोना के टीकों एवं दवाओं पर से पेटेंट के प्रावधानों को कुछ समय के लिए हटा लिया जाए।

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