बिलासपुर । करोना काल मे मरीजों को हो रही एक दिक्कत से जनता कांग्रेस ने प्रशासन को चि_ी लिखके अवगत करवाया है, जिसमे निजी एवं सरकारी अस्पतालों में भर्ती के पूर्व पॉजिटिव रिपोर्ट की अनिवार्यता को शिथिल करते हुए आंशिक संशोधन करने या अस्पतालों मे टेस्ट की व्यवस्था करने का सुझाव दिया गया है। जनता कांग्रेस के जिला अध्यक्ष विक्रांत तिवारी ने पत्र के माध्यम से प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करते हूए बताया की विश्व में व्याप्त कोविड-19 आपदा से सबसे अधिक रूप में भारत और भारत में सबसे सर्वाधिक छत्तीसगढ़ में संक्रमित लोगों की पहचान हो रही है। हमारे जिले बिलासपुर में भी आंकड़ा काफी तेजी से बढ़ रहा है जिसमें घर पर आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों की संख्या 80त्न से अधिक देखी जा रही है। सरकार द्वारा भी समान्य लक्षण पे घरो मे आईसोलेट होने एवं जरुरत पडने पर ही अस्पताल आने कहा है। किंतु जब स्थिति बिगडऩे पर (आक्सीजन लेवल समान्य से कम 90 से नीचे) आने पर उन 80त्न से अधिक संक्रमित लोगों को परिजन निजी या सरकारी अस्पताल में गंभीर हालत में लेकर पहुंचते हैं तो वहां शासन द्वारा जारी एक अनिवार्य गाइडलाइन के कारण सभी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिसके कारण मरीजो को भर्ती करने मे अस्पताल अपनी असमर्थता जाहिर कर जिनके पास रेपोर्ट नही होती उन मरीजों को वापस भेज रहे हैं। जिससे हमने अब तक कई जाने गवां दी हैं।वह अनिवार्य नियम है “कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट” जमा करने की अनिवार्यता। विक्रांत ने कहा की विगत कई दिनों से इसकी दिक्कतों से परिजन हमे अवगत करा रहे थे जिसपर हम कुछ दिनो से स्वयं अस्पताल पहुँच के स्थिति सम्हलने की कोशिश कर रहे हैं जिससे ये ज्ञात हुआ की 2 से 3 घंटे तक गंभीर हालत में आए मरीज को सिर्फ इसलिए भटकना पड़ता है क्योंकि उसके पास पॉजिटिव की रिपोर्ट नहीं होती और वह होम आइसोलेशन से अस्पताल आया हुआ मरीज रहता है। कल एक 7 साल की बच्ची जो अपने माँ- बाप को लेकर एक निजी अस्पताल पहुँची थी उसे इस अनिवार्य नियम के कारण 3 घण्टे तक अम्बुलेंस मे अपने माँ पिता जी को ताड़पते छोड अस्पताल मे मिन्नत करते देखना हृदय विदारक था। टेस्ट की रेपोर्ट देने के उपरांत उस परिवार को भर्ती किया गया। अमूमन हर निजि एवं सरकारी अस्पताल मे यह समस्या सामने आ रही है। सिम्स प्रबंधन का व्यवहार इसके प्रति सबसे अधिक निराशाजनक है, वहाँ मरीज की गिरती पल्स के बाद भी बिना रेपोर्ट ओक्सिजन तक नही दिया जाता जबकी तथाकथित आईसोलेशन बेड नामक झूठी व्यव्स्था का वहां होना बताया गया है। जिससे भी पुर्व मे कई जाने जा चुकी हैं। वहाँ हो रहे टेस्ट की रेपोर्ट व्यक्ति के मरणोपरांत 3 से 4 दिन बाद दी जाती है। विक्रांत ने कहा, क्योंकि इस बीमारी में एक-एक क्षण बहुत ही कीमती और किसी की जान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है अत: प्रशासन से आग्रह है की शासन द्वारा जारी इस अनिवार्य नियम को कुछ हद तक शिथिल करते हुए मरीजों के परिजनों से लिखित में अंडरटेकिंग लेते हुए मरीजों को तत्काल उपचार हेतु भर्ती करने का आदेश तत्काल प्रभाव से जारी करने का कष्ट करें, या समस्त निजि एवं सरकारी अस्पतालो को ऑन स्पॉट टेस्ट की व्यवस्था करवाने आदेशित करें, ताकि किसी नियम की बाध्यता से किसी व्यक्ति की सांसे ना टूटे और परिवार बर्बाद होने से बच जायें। इस नियम से उत्पन्न गंभीर परेशानी से संक्रमित परिवारों को निजात दिलाएं ताकि लगातार बढ़ रही मृत्यु दर को रोकने हम एक पहल कर सकें आशा है कि आप इस विषय को तत्काल संज्ञान में लेते हुए सार्थक कदम उठाकर बिलासपुर जिलावासियों की जान को बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लेंगे। जोगी कांग्रेस ने इन सुझावों का एक आग्रह पत्र शासन को भेजा और इसे तत्काल संज्ञान मे लेकर लोगो की जान बचाने का आग्रह किया, जिसपे स्ष्ठरू बिलासपुर ने शीघ्र ही उचित निर्णय लेने का अश्वासन दिया है।