बिलासपुर । 25 नवंबर 1933 को जब महात्मा गांधी बिलासपुर आये थे तो मुंगेली भी जाना चाहते थे लेकिन उन्हें बिलासपुर से लौटना पड़ा.वे आजादी की लड़ाई लडऩे वाले सतनामियों से मिलना चाहते थे.जिनके बारे में ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर ने उन्हें बताया था.वापस जाकर गांधी जी ने एक पत्र भी लिखा जिसमें उन्होंने मुंगेली न जा पाने को लेकर अफसोस जताया था.अफसोस औरों को भी था.खेलन राम जांगड़े को भी.वे कहते बापू जाते तो मुंगेली की धरती पावन हो जाती.आज 75 साल के जांगड़े जी ने मुंगेली रोड के वंदना अस्पताल में हमेशा के लिए आंखें मूंद ली. बुधवार को उन्हें भर्ती कराया गया था.उनका निधन कोरोना से नहीं हुआ पर कोविड हॉस्पिटल में इलाज होने की वजह से गाइड लाइन का पालन करना पड़ा.सरकंडा मुक्तिधाम में इकलौते बेटे अनिल ने मुखाग्नि दी.
जांगड़े जी बेहद सीधे,सरल व सच्चे नेता थे.उन्हें अपमानित भी होना पड़ा. पर वे अपने काम से नहीं डिगे.मुंगेली के छोटे से गांव फुलवारी खुर्द में पैदा होकर वे दिल्ली में 10 साल तक बिलासपुर-मुंगेली की आवाज बने.
1984 में पहली बार कांग्रेस ने जांगड़े जी को बिलासपुर लोकसभा के चुनाव मैदान में उतारा और उन्होंने भाजपा के गोविंद राम मिरी को एक लाख से अधिक वोटों से हराया. इसके बाद 1989 में भी उन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया लेकिन भाजपा प्रत्याशी रेशम लाल जांगड़े से वे बहुत कम वोटों से चुनाव हार गए. पर वे जानते थे कि राजनीति में यह चलता है. 1991 में कांग्रेस ने फिर उन पर दांव खेला और जांगड़े जी ने जीत पार्टी की झोली में डाल दी. उन्होंने दूसरी बार भाजपा के गोविंदराम मिरी को हराया. 1996 के चुनाव में उनका मुकाबला भाजपा के पुन्नूलाल मोहले से था लेकिन वे चुनाव हार गए.मुंगेली के दशरंगपुर वाले से मुंगेली के फुलवारी खुर्द वाला हार गया.
इसके बाद 1998 के चुनाव में उनकी टिकट काट दी गई.चर्चा रही टिकट कटने की वजह उनका गुटीय राजनीति में दिग्विजय सिंह के करीबी होना रहा.अजीत जोगी द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में वे शामिल नहीं हुए और नेता नाराज हो गए. उनकी जगह पूर्व सांसद गोधिल प्रसाद अनुरागी की बेटी तान्या अनुरागी को मैदान में उतारा गया(1984 में अनुरागी की टिकट काटकर जांगड़े जी को मौका दिया गया था)लेकिन वह भी चुनाव हार गईं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जांगड़े जी के बाद बिलासपुर लोकसभा सीट कांग्रेस कभी नहीं जीत पाई. उनके बाद से यहां लगातार भाजपा जीत रही है. बाद के कांग्रेस प्रत्याशी रामेश्वर कोसरिया(1999),डॉ. बसंत पहारे(2004),डॉ. रेणु जोगी(2009),करुणा शुक्ला(2014) व अटल श्रीवास्तव(2019) पराजित होते गए. जांगड़े जी ने 1984 से 1989 और 1991 से 1996 तक संसद में बिलासपुर का प्रतिनिधित्व किया. बिलासपुर में एसईसीएल मुख्यालय की स्थापना, रेलवे जोन, गुरुघासीदास विश्वविद्यालय की स्थापना उनके सांसद रहते हुई. वे बेहद सरल व सहज उपलब्ध सांसद थे. कोई भी कार्यकर्ता उन्हें स्कूटर पर बिठाकर कार्यक्रमों में ले जाता था.वे कांग्रेस के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते रहे.
अंतिम बात
वे दीनदुखियों की मदद करते. युवाओं से कहते उच्च शिक्षा प्राप्त करो. गांव के लोगों को अक्सर कहा करते बाहर कमाने खाने मत जाया करो, गांव में ही काम धंधा करो. (1 मई मजदूर दिवस पर उनकी सीख प्रासंगिक है) उनके भतीजे अरुण बताते हैं कि इनकी ही प्रेरणा से छोटे से गांव फ़ुलवारी खुर्द में 25 लोग शासकीय नौकरी में हैं.उनके जाने से जैसे हम सब अनाथ हो गए।