भोपाल । केंद्र सरकार ने आठ जिला अस्पतालों में आक्सीजन संयंत्र करीब छह माह पहले स्वीकृत किए थे, लेकिन जिम्मेदार लापरवाह बने रहे और इनका काम बेहद धीमी गति से चला। जब संकट सिर पर आ गया, तब सरकारी तंत्र जागा और पांच जिला अस्पतालों में संयंत्र बनकर तैयार हुए। 37 और जिलों में संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं। 13 जिलों में मेसर्स एयर ऑक्स औरंगाबाद को संयंत्र लगाने का काम दिया है। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एक माह में 13 जिलों में संयंत्र स्थापित हो जाएंगे। केंद्र सरकार ने आठ जिला अस्पतालों खंडवा, शिवपुरी, सिवनी, उज्जैन, जबलपुर, रतलाम, मंदसौर और मुरैना में लगभग छह माह पहले आक्सीजन संयंत्रों की स्थापना की स्वीकृति दी थी। यह काम प्रदेश में बहुत धीमी गति से चला और जब आक्सीजन का संकट आया तब आनन-फानन में काम पूरा कराया गया। खंडवा, शिवपुरी, उज्जैन और सिवनी में प्लांट शुरू हो चुके हैं। जबलपुर का काम पूरा हो गया है और यही स्थिति रतलाम, मंदसौर और मुरैना की है। इसके अलावा सागर, सीहोर, विदिशा, गुना, सतना, रायसेन, बालाघाट, खरगोन, कटनी, बड़वानी, नरसिंहपुर, बैतूल और भोपाल के काटजू अस्पताल में चार सौ से छह सौ लीटर प्रति मिनट आक्सीजन उत्पादन क्षमता के संयंत्र लगेंगे। इसके लिए 14 अप्रैल 2021 को मेसर्स एयर ऑक्स औरंगाबाद को काम के आदेश दिए हैं। बता दें कि कोरोना संकट के समय सरकारी और निजी अस्पतालों में बड़े स्तर पर आक्सीजन की कमी सामने आ रही है। यदि सरकारी अस्पतालों में समय रहते आक्सीजन संयंत्र स्थापित हो जाते तो समस्या इतनी विकराल नहीं हो पाती। मुख्यमंत्री चौहान ने ऑक्सीजन संयंत्र की स्थापना के काम को गंभीरता से नहीं लेने वाले सड़क विकास निगम के प्रबंध संचालक श्रीमन शुक्ला को हटाया जा चुका है। उनके स्थान पर शशांक मिश्रा को सड़क विकास निगम का जिम्मा दिया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सभी पात्र परिवारों को तीन माह का नि:शुल्क राशन उपलब्ध कराया जाए। साथ ही शहरी और ग्रामीण पथ विक्रेताओं के खातों में एक-एक हजार रुपये जमा कराए जाएं।