रायगढ़, । कोरोना मरीजों के उपचार के लिए रेमडेसिवीर इंजेक्शन की अचानक मांग बढ़ी है। राज्य सरकार ने इसकी किल्लत दूर करने व जरूरतमंद मरीजों तक निर्बाध आपूर्ति के लिए इंजेक्शन की वितरण व्यवस्था अपने हाथों में ले लिया है। इंजेक्शन की सप्लाई सीधे अस्पतालों को की जा रही है जिससे इसकी कालाबाजारी न हो और जिन मरीजों को इसकी आवश्यकता है उन्हें यह आसानी से मिल सके। इन सब के बीच इस इंजेक्शन को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं। ताकि लोग रेमडेसिवीर से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य जान सके।
सीएमएचओ डॉ केसरी ने बताया कि रेमडेसिवीर का इंजेक्शन कोरोना का सीधा उपचार या लाइफ सेविंग ड्रग नही है। किन मरीजों को यह इंजेक्शन देना है इसका निर्णय डॉक्टर द्वारा मरीज की स्थिति और ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल को देखकर लिया जाता है। यह गंभीर से अति गंभीर मरीजों में संक्रमण को बढऩे से रोकने के लिए दिया जाता है। हल्के या बिना लक्षणों वाले मरीज को इस इंजेक्शन की जरूरत नही होती है। कई शोध में यह बात भी सामने आयी है कि बिना जरूरत वाले मरीजों को इसे लगाने से उनके लिवर में इसका काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने आगे कहा कि अभी यह देखने को मिल रहा है कि ऐसे मरीज जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है लेकिन उन्हें कोई लक्षण नही है या बेहद हल्के लक्षण हैं तथा सांस लेने में भी कोई तकलीफ नही है वे भी इस इंजेक्शन को खरीदने के लिए प्रयासरत हैं। ऐसे में वास्तविक रूप से जिन मरीजों को अभी तत्काल में इसकी जरूरत है उन्हें यह इंजेक्शन नही मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड वायरस के उपचार के लिये ऑक्सीजन थेरेपी के साथ अभी जो दवाइयां दी जा रही हैं उसमें स्टीरॉयड व एंटीबायोटिक का कॉम्बिनेशन है जो हल्के या बिना लक्षणों वाले मरीजों में वायरस के खिलाफ पर्याप्त एंटीबॉडी बनाने में सक्षम है। इसके साथ ही जिंक और मल्टी विटामिन और विटामिन सी का सप्लीमेंट दिया जाता है, जो इम्युनिटी बूस्टर का काम करती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
ऑक्सीजन लेवल है सबसे महत्वपूर्ण
डेडिकेटेड कोविड अस्पताल के नोडल अधिकारी डॉ.वेद गिल्ले ने बताया कि कोविड में सांस से जुड़ी दिक्कतें होती है। ऐसे में मरीज के शरीर में ऑक्सीजन का सेचुरेशन लेवल सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसी से मरीज के स्थिति की गंभीरता तय होती है। उन्होंने बताया कि अभी मुख्यत: दो वजहों से मरीजों में कॉम्प्लिकेशन बढ़ रहे हैं। पहला इंफ्लमेशन की वजह से जिससे फेफड़ों में समस्या आ रही है। दूसरा खून के नसों में थक्के जमने की वजह से दिक्कत हो रही है। इस स्थिति में रुटीन दवाइयों के साथ हेपरिन (ब्लड थिनर) दिया जाता है जिससे मरीजों की स्थिति में सुधार आया है। इन दवाओं की अभी पर्याप्त आपूर्ति है। रेमडेसिवीर ऐसे गंभीर मरीज जिनका ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 90 से नीचे हो उन्हें ही दिया जाता है। वह भी संक्रमित होने के शुरुआती 7 से 9 दिनों में यह लगे तो ही फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि अभी आम धारणा यह बन गयी है कि पॉजिटिव आते ही रेमडेसिवीर लगाने से ही स्थिति में सुधार होगा। जबकि ऐसा नही है। होम आईसोलेट या अस्पताल में भर्ती मरीज जिनका ऑक्सीजन लेवल 94 से ऊपर है उन्हें इस इंजेक्शन की जरूरत नही है। ऐसे में उन्हें इसको लेकर किसी प्रकार का पैनिक नही करना चाहिए। वे नियमित इलाज लेकर बिल्कुल स्वस्थ हो सकते हैं। जैसा कि हमने पहले देखा है हजारों लोग बिना इस इंजेक्शन के बिल्कुल ठीक हुए हैं।
जरूरतमंद मरीजों को इंजेक्शन की निर्बाध आपूर्ति हो तथा इसकी कालाबाजारी न हो इसके लिए सीधे अस्पतालों को इंजेक्शन सप्लाई किये जा रहे हैं। कलेक्टर भीम सिंह स्वयं इंजेक्शन की आपूर्ति व्यवस्था पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। उनके निर्देश पर औषधि निरीक्षक अस्पतालों में इंजेक्शन के वितरण की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों को इंजेक्शन लगाए जाने की ऑडिटिंग भी की जा रही है।