बिलासपुर । कुछ समझै में नही आ रहा। बिना रजिस्ट्रेशन नम्बर की नई ऑटो प्लेसर छटघाट में कचरा डम्प कर रही। कर्मचारी कह रहे निगम के अफसरो के निर्देश पर डाल रहे। कचरे के सम्पूर्ण निदान के लिए दो कम्पनियो को ठेका दिया गया है कि कचरा डंपिंग यार्ड कछार में डम्प करना है तो यहां क्यो डाला जा रहा। आखिर वहां कचरा क्यों नहीं जा रहा इस खेल का पैसा किसकी जेब मे जा रहा।अरपा के नाम पर केवल राजनीति ही होती रहेगी या कुछ होगा क्योंकि इस सरकार को लगभग ढाई साल होने जा रहे। पूरा छठघाट के सामने नदी किनारे का हिस्सा गन्दगी, बदबू और पालीथिन के चीथड़ों से अटा पड़ा है, बारिश में यही जहर और गन्दगीपानी अरपा की धार में घुल जाएगा।
अरपा पैरी के धार
ये अरपा पैरी के धार छत्तीसगढ़ का राजगीत है, पर वही अरपा मलिन पड़ी है। कोई इसे लंदन के टेम्स नदी की तर्ज पर विकसित करने का दावा करते नही थका, तो कोई अरपा को स्वच्छ, सुंदर और 12 रो माह जलथल दिखाने का दावा कर रहा, पर हो क्या रहा सब देख रहे।सरकारे आई गई बड़ी-बड़ी फेके पर अरपा की दर्दशा नही रुक पा रही। तमाम दावों और जसगीत के बीच केवल 1 सवाल उठ रहा कि क्या वाकई इस बार कुछ हो सकेगा या अरपा केवल गन्दगी और कचरे के ढेर से पट जाएगी।क्या देख रहे जिम्मेदार निगम आयुक्त, स्वास्थ्य अधिकारी, मेयर, सभापति , 70 पार्षद सब क्या देख रहे, और यदि देख रहे तो फिर ये गड़बड़ी क्यो नही थम रही समझ से परे है, आखिर तेल बचाने का ये खेल चल किसके इशारे पर चल रहा क्यो जिम्मेदार ठेका कम्पनियो पर इतना मेहरबान है।
इतने इनोसेंट है अफसर
एक साथ कचरे से भरे कंटेनरों को जला दिया जा रहा, 4 करोड़ के मासिक ठेके के बाद भी ठेके पर श्रमिक रखे गए है, कितने है और कहा है किसी से छिपा नही। ठेके के बाद भी निगम के डंपर, एक्सीवेटर सफाई कार्य में ठेका कम्पनी की बेगारी कर रहे किसी को कुछ नहीं दिख रहा। ऐसा क्यों।