धरमजयगढ़-जोहार छत्तीसगढ़।
धरमजयगढ़ क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्यवाही नहीं होने के कारण गली-गली में झोलाछाप डॉक्टर बनकर लोगों के जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। और स्थानीय प्रशासन मौन होकर तमाशा देख रहे हैं। जबकि जिला कलेक्टर ने ऐसे झोलाछाप डॉक्टर पर कड़ी कार्यवाही करने का निर्देश दिये हंै। कलेक्टर के निर्देश पर जिले के कई बीएमओ ने बड़ी कार्यवाही की है। विकासखण्ड स्तर पर झोलाछाप डॉक्टरों पर जांच व कार्यवाही करने का जिम्मा बीएमओ का होता है लेकिन धरमजयगढ़ विकासखण्ड में झोलाछाप डॉक्टर पर कार्यवाही हुआ है या नही इसकी जानकारी आज तक किसी को नहीं मालूम, कार्यवाही नहीं होने के कारण झोलाछाप डॉक्टरों के हौसले इतने बुलंद हो गये हैं कि ये लोग राह चलते भी मरीजों का ईलाज करते हैं। धरमजयगढ़ में एक ऐसा डॉक्टर है जो कलकत्ता से आकर धरमजयगढ़ कालोनी में निवास करते हुए झोलाछाप डॉक्टरी कर रहे हैं और यह डॉक्टर महिला मरीजों को खड़े -खड़े कमर में इंजेक्शन लगा दे रहे हैं बिना डर भय के। क्या इन झोलाछाप डॉक्टर और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के साथ सांठ-गांठ हैं जो इन पर कार्यवाही नहीं करते हैं? कोरोना के कारण गांव के लोग सरकारी अस्पताल नहीं जाते हैं और इसका पूरा फायदा ये झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर कभी अस्पताल मरीजों का ईलाज करने जाते ही नहीं है। जिसका फायदा भरपूर ये झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं गरीब आदिवासी मरीजों का ईलाज करके ग्रामीण क्षेत्र के शासकीय अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर गांव नहीं जाने के कारण ग्रामीण ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों से ईलाज कराकर अपनी जान जोखिम में डाल रहे हंै। स्थानीय बीएमओ को चाहिए कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों की खोजबीन कर कड़ी कार्यवाही करें ताकि गरीब आदिवासी का जान बच सकें।