प्रकाश मिश्रा, जोहार छत्तीसगढ़।
कुनकुरी। जशपुर जिले में इन दिनों आदिवासियों को लेकर एक नया फरमान जारी किया जा रहा है, फरमान भी जशपुर जिले के उन आदिवासियों को जो शुरू से जिले के नेताओं को ही अपना भगवान मानते आ रहे हैं। लेकिन मामला अब उनके धर्म के साथ जुड़ा हुआ है। मामला है जशपुर जिले के गोड़ाम्बा पंचायत का जहां ग्रामीणों ने अपने पंचायत में रामकथा सुनने के लिए ग्रामीणों से सहयोग की अपेक्ष की और रामकथा सुनने के लिए दिन तारीख तय की जाने लगी तो ग्राम पंचायत के सरपंच ने बीच मीटिंग में उत्पात मचाना शुरू कर दिया और ग्रामीणों को ही पूछने लगा कि राम कौन राम का पिता कौन कहते हुए तीन चार शासकीय शिक्षक जो कि किसी सविधान की किताब साथ लेकर आये थे और कहने लगे कि आदिवासी हिन्दू नहीं है यहां के आदिवासी अपने आप को हिन्दू नहीं मान सकते और न ही मानेंगे। सरपंच जयशंकर और साथ में आये शिक्षक जो बच्चों को अच्छा ज्ञान देने की बजाय रामकथा का विरोध करने में लग गए, जिसमें शिक्षक नरेंद्र, गणेश साय, परमानन्द साय ने मिलकर ग्रामीणों को धर्म को लेकर भ्रमित करने लगे फिर क्या था ग्रामीण भी भड़क गए और शिक्षकों की पिटाई कर दी इतने में एक शिक्षक परमानंद साय मौके से भाग निकला ये तीनों शिक्षक दुलदुला ब्लॉक के बताए जा रहे हैं। ग्रामीणों के मार से तिलमिलाये सरपंच से पूछा गया कि आपको कब पता चला कि आदिवासी ग्रामीण हिन्दू नहीं है तो उनका कहना था कि अभी 2 माह पहले पता चला कि आदिवासी हिन्दू नहीं है बाकी खोज चल रहा है। हालाकि जशपुर जिले में अभी से नहीं बल्कि कई वर्षों से नाटक के माध्यम से रामकथा किया जाता है और हमारे जशपुर जिले के आदिवासी रामकथा का नाट्य रूपांतरण बहुत शौक से देखते आ रहे हैं। लेकिन जिले की भोली भाली जनता को धर्म के विपरीत भ्रमित करने के लिए एक नया संगठन पैर पसारने लगा है जिसमें कुछ ग्रामीणों के अलावा शासकीय तकबा भी शामिल हो चुका है। बहरहाल अब देखने वाली बात है कि जशपुर जिले में ये लोग धार्मिक उन्माद फैलाने वाले गैंग जशपुर जिले भोली भाली जनता को बरगलाने में कहां तक सफल होते हैं और हिंदुओं को टुकड़ों में बाटने का प्रयास कहां तक सफल होता है।