धरमजयगढ़-जोहार छत्तीसगढ़।
बेहतर जिंदगी की आस में अपने गांव-घरों से प्रवासी मजदूर मीलों दूर देश के विभिन्न हिस्सों में छोटे-बड़े रोजगार धंधों में लगे हुए थे। लेकिन कोरोना महामारी फैलने के कारण अब वे लॉकडाउन में जहां-तहां फंस गए हैं। पहले तीन हफ्ते के लॉकडाउन की अवधि को किसी तरह निकालने के बाद वह हर हाल में अपने-अपने घर लौटना चाहते है।ऐसे में रायपुर के एक निजी कम्पनी में काम कर रहे बिहार के 26 मजदूरों का लॉक डाउन के दौरान कम्पनी ने निवाला बन्द कर दिया तो इन मजदूरों ने अपने अपने घरों से अकॉउंट में पैसे मंगाए और एक एक सायकिल खरीदकर फिर निकल गए अपने घरौंदे की ओर इन मजदूरों के साइकिल का काफिला देखकर धरमजयगढ़ बायसी कालोनी के बंग समाज के युवाओं ने इन्हें काजल ढाबा के पास रुकवाया इनका हालचाल जाना और सभी के लिए नाश्ते तथा भोजन का व्यवस्था किए।सभी को मास्क भी दिया गया। वही मजदूरों ने बताया कि हम लोगों के द्वारा लॉक डाउन का 21 दिनों तक पालन किया गया।उसके बाद हमारे पैसे भी खत्म हो गए और कम्पनी भी भूखों मरने के लिए छोड़ दिया। फिर इन सभी मजदूरों ने अपने अपने घर में फोन के माध्यम से संपर्क कर रुपये मंगाए और साइकिल खरीद रायपुर के मेडिकल कॉलेज में अपना अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराया औऱ बिहार के लिए निकल चुके हैं।वहीं इस सफर के पड़ाव में कई स्थानों पर सामाजिक तथा प्रशासनिक लोगों ने इनकी मदद की मजदूरों ने आगे बताया कि लगभग साढ़े तीन सौ किलोमीटर तक का सफर तय किया जा चुका है और मंजिल अभी कई सौ मील दूर है।