कोरिया । जिले के निगरीय निकायों में पार्षद निधि के गलत उपयोग करने का मामला उजागर होने के बाद छत्तीसगढ़ नगरीय प्रशासन ने निर्णय लिया है कि अब जरूरतमंदों तक राशन, सैनेटाइजर समेत अन्य जरूरी सामग्री जिला प्रशासन के माध्यम से वितरित किया जाएगा।
इससे फिजिकल एंव सोशल डिस्टेंसिंग का पालन संभव हो सकेगा। साथ ही गुणवत्तायुक्त सामग्री की मॉनिटरिंग भी हो सकेगी। दरअसल पार्षद निधि से राशन और सैनेटाइजर खरीदी में भी गड़बड़ी सामने आने के बाद से यह निर्णय लिया गया है।
जिले के निगम चिरमिरी, नपा मनेंद्रगढ़, बैकुंठपुर में खादय सामग्री समेत सैनेटाइजर खरीदी व वितरण में बड़ा घोटाला सामने आने के बाद छत्तीसगढ़ नगरीय प्रशासन के द्वारा वितरण प्रणाली के नियम में बदलाव करते हुए अब पार्षद निधि से खरीदे गए सामग्री का वितरण सीधे जनप्रतिनिधि नही कर सकेंगे।
इन्हें सामग्री खरीदकर जिला प्रशासन द्वारा स्थापित अनाज बैंक में जमा कराना होगा। यहां से नगरीय निकाय के कर्मचारी जरूरतमंदों तक आवश्यक राशन एवं कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए दिए गए सैनेटाइजर वितरण करेंगे।
यहां बता दें कि बीते दिनों निगम चिरमिरी समेत बैकुंठपुर व मनेंद्रगढ़ नपा क्षेत्र के वार्डों में राशन समेत निम्न क्वालिटी के सैनेटाइजन वितरण को लेकर वार्डवासियों एवं विपक्ष के द्वारा सवाल उठाया गया था।
समाचार पत्र में लगातार चार दिन तक खबर प्रकाशित होने के बाद जिला स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कार्रवाई करते हुए निगम चिरमिरी में रखे सैनेटाइजर के स्टॉक समेत दस्तावेजों को खंगाला गया है। जांच टीम के अधिकारी ने बताया कि यहां इमॉन नाम की कंपनी का सैनेटाइजर ही उन्हें मिला। जबकि कांग्रेसी पार्षद निधि से निगम में सबसे अधिक स्टेप-डी ब्रांड के सैनेटाइजर की खरीदी की गई थी। निगम सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार स्टेप-डी कंपनी, जो कि दो साल पहले बंद हो चुकी है। वार्डों में वितरण के लिए स्टेप-डी सैनेटाइजर का भंडारण कुछ चुनिंदा पार्षदों के घर में ही किया गया था। जिसके चलते जांच टीम को निगम खाली हाथ लौटना पड़ा। कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए चिरमिरी और मनेंद्रगढ़ के 62 वार्डों में बांटे गए सैनेटाइजर की गुणवत्ता पर लोगों ने सवाल उठाए,तो विपक्ष को भी हमला करने सामने आना पड़ा। वही अब पूरे मामले को रफादफा करने की फिराक में निगम महापौर, विधायक और कमिश्नर लगे है। वही अब पार्षद निधि से सामग्री खरीदी और वितरण के नियम में बदलाव करने से विधायक, महापौर,एमआईसी सदस्य समेत पार्षदों को तगड़ा झटका लगा है। इस तरह की गई गड़बड़ी,दाम और गुणवत्ता के कारण उजागर हुआ मामला ओरिजिनल कंपनी थी स्टेप-ड्राइ इसके नाम से स्टेप-डी तैयार किया जा रहा था, लेकिन इसकी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी दूसरी है। हालांकि दोनों की कीमत 140 रूपए है। स्टेप ड्राई की आड़ में स्टेप-डी का माल खपाकर बिल पास कराने की तैयारी थी। जानकारी के अनुसार शासन द्वारा 100 एमएल सैनेटाइजर की कीमत 50 रु तय की गई थी लेकिन यहां शासन के आदेश को ही विधायक व महापौर ने ठेंगा दिखा दिया। अब गलती छिपाने शील्डर कंपनी का सैनेटाइजर मंगाकर बांटा जा रहा है।
कलेक्टर डोमन सिंह ने निगम चिरमिरी ओर मनेंद्रगढ़ में सैनेटाइजर खरीदी मामले में बताया कि खरीदी केवल रजिस्टर्ड कंपनी से शासन द्वारा निर्धारित दर पर करने के बाद ही भुगतान किया जाएगा। वही निगम चिरमिरी और मनेंद्रगढ़ में बांटे गए सैनेटाइजर के भुगतान को जांच पूरा होने तक रोक दिया गया है। जांच में पहुंची टीम को कोई दस्तावेज नही मिला है। पूर्व विधायक श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा है कि कोरोना वायरस की रोकथाम बहुत ही संवेदनशील मामला होने के साथ यह सीधे लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। निगम चिरमिरी व मनेंद्रगढ़ के वार्डों में बांटे गए सैनेटाइजर के जांच में किसी प्रकार की लीपापोती की गई,तो न्यायलय तक हम जाएंगे।