संकट की घड़ी में मदत करना दूरदर्शिता की निषानी है लेकिन मदत निस्वार्थ भाव से होना चाहिए। कितु जब मदत स्वार्थ के साथ की गयी हो तो वह मदत, मदत नही बल्कि एहसान कहलाता है। वो भी तब, जब पूरा देश एक बड़े संकट से जूझ रहा हो। मामला कोरिया जिले के नगरीय क्षेत्र चिरमिरी से जुड़ा है। लेकिन इससे पहले उस कार्य को सलाम जिसकी बीढ़ा उठाकर निगम लोगों की पेट भरने की कोशिश कर रहा है।
चिरमिरी । दरअसल कोरोना वायरस को लेकर पूरा देश संकट में है। एैसे में मजदूरी कर पेट भरने वालों के लिए भूखों मरने की नौबत सामने है। नगरीय क्षेत्र में कोई भूखा ना रहे इसके लिए निगम ने अच्छी पहल की। बताया जा रहा है कि निगम द्वारा बांटे जाने वाले राशन में निगम के सभी 40 वार्ड पार्षद अपने अपने निधी से सहयोग दे रहे है। यही नही, बताया यह भी गया कि निगम की प्रथम महिला ने भी अपने निधी से सहयोग दी है। आपाके बता दे कि वितरण किये जाने वाले खाद्यान में 05 किलो चावल, 01 किलो आटा, आधा लीटर सरसो तेल, मसाला, 02 किलो आलू, आधा किलो प्याज, एक साबुन एक झोले में एकत्र कर दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार एक वार्ड में 50 पैकेट दिया जाना है किंतु जिस वार्ड में अधिक पैकेट की आवष्यकता है उसे भी पूरा किया जायेगा। कितु वह वार्ड पार्षद के विवेक के उपर निर्भर है। इससे पहले भी एक बार खाद्यान का वितरण किया जा चुका है और अब दूसरी बार बांटने के लिए झोले तैयार कर लिये गये है और वार्ड पार्षद तक पहुंचाने का क्रम भी जारी है।
निगम की यह पहल निश्चित हि सराहनीय है लेकिन वितरण को लेकर सवाल उठना भी उतना ही जरूरी है जितनी की प्रशंसा करना। कोरोना महामारी ने जैसे प्रचार करने का एक नया मौका दे दिया हो। क्षेत्र की जनता तक जनप्रतिनिधी यह खबर फैलाने में लगे है कि उनको दिया जाने वाला राशन सामग्री कांग्रेस की देन है। सवाल यही है कि एैसा कौन सा खजाना चिरीमिरी कांग्रेस के हाथ लगा कि सिर्फ चिरमिरी में ही कांग्रेस अपनी दरियादिली दिखाई। सवाल इसलिये भी जरूरी है कि संकट के इस समय में जहा लोग गुप्त दान कर लोगों की मदत कर रहे है वही निकाय के जनप्रतिनिधी सहयोग के नाम पर प्रचार का बाजार खोल दिया। झोले में हाथ का निशान निश्चित ही इसी मकसद से छपवाया गया है ताकि चिरमिरी की जनता कांग्रेस का धन्यवाद अदा कर सके। गर इसके यह मायने नही है तो क्या मायने निकाला जाय … यह तो शहर सरकार के नुमाइंदे ही बता सकते है।