कवीराज, जोहार छत्तीसगढ़।
कोरिया। शुक्रवार को सैकड़ों की संख्या में जिले के महिला पुरुष नगर सैनिकों ने अपनी 3 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव एवं महानिदेशक नगर सेना के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि नगर सैनिकों से पूरा काम पुलिस जवानों की तरह ही लिया जाता है लेकिन वेतन के नाम पर सिर्फ 12900 मासिक दिया जाता है सैनिकों ने समान कार्य हेतु समान वेतन की मांग की है।
कलेक्ट्रेट पहुंचे छत्तीसगढ़ नगर सेना सैनिक परिवार कल्याण एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश जारी कर दिया है इसके परिपालन में मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार में नगर सेना के जवानों को पुलिस आरक्षक के समान वेतनमान दिया जा रहा है, गौरतलब है कि वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विपक्ष में रहते हुए स्वयं तत्कालीन मुख्यमंत्री को नगर सैनिकों को समान कार्य समान वेतन दिए जाने हेतु पत्र प्रेषित किया था अब वर्तमान में वे स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं ऐसे में तत्काल समान कार्य समान वेतन लागू किया जाना चाहिए। महिलाओं के सामने है तलाक की नौबत महिला नगर सैनिकों ने बताया कि पूरे वर्ष भर उन्हें छात्रावास ड्यूटी में भेजा जाता है जहां 24 घंटे ड्यूटी करना होता है ऐसे में वे अपने बच्चे और परिवार से नहीं मिल पाते हैं जिससे कि उनका परिवार टूटने की स्थिति निर्मित हो गई है और घर में आए दिन विवाद की स्थिति निर्मित होती है ना अपने पति से मिल पा रहे हैं ना ही बच्चों की देखभाल कर पा रहे हैं इनकी मांग है कि एक छात्रावास में कम से कम 2 महिला सुरक्षाकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाए जिससे कि वह ड्यूटी के साथ अपना परिवार भी संभाल सकें। साथ ही शासन के अन्य विभागों में महिला कर्मचारियों हेतु मातृत्व अवकाश के तहत 6 महीने का अवकाश प्रदान किया गया है जबकि महिला नगर सैनिकों को मातृत्व अवकाश में सिर्फ 3 महीने का अवकाश प्राप्त होता है इसे भी बढ़ाकर 6 महीने करने की मांग की गई है।
पुरुष सैनिकों के सामने भूखों मरने की स्थिति निर्मित पुरुष सैनिकों ने ज्ञापन में अपने समस्या को अवगत कराते हुए कहा कि उन्हें वर्ष भर में 6 महीने के लिए जिले से बाहर ड्यूटी करना पड़ता है जिसमें 2 महीने कोरबा एसईसीएल सुरक्षा ड्यूटी 2 महीने कुसमुंडा एसईसीएल 1 महीने रायपुर प्रशासनिक ड्यूटी के साथ समय-समय पर अन्य लाइन ऑर्डर एवं सुरक्षा ड्यूटी हेतु जिले से बाहर रहना पड़ता है ऐसे में 12900 रुपए वेतन में स्वयं का भरण पोषण करें या अपना परिवार चलाएं बाहर ड्यूटी पर स्वयं के लिए भोजन व रहने का व्यवस्था करना होता है। उसी में पूरा पैसा खर्च हो जाता है जिस कारण घर में भूखों मरने सी स्थिति निर्मित होती है ना ही वे अपना घर चला पा रहे हैं ना बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पा रहे हैं। सैनिकों ने जिले से बाहर बिना प्रशिक्षण के एसईसीएल सुरक्षा ड्यूटी को तत्काल बंद करने हेतु मांग की है गौरतलब है कि विगत वर्ष बिना प्रशिक्षण के कुसमुंडा एसईसीएल में सुरक्षा ड्यूटी में लगे जिले के सैनिक जीत नारायण की मृत्यु ड्यूटी के दौरान एसईसीएल प्रबंधन की लापरवाही के कारण हो चुकी है जिससे कि जिले के सैनिकों के मन में भय का माहौल व्याप्त है।