धरमजयगढ़। औद्योगिक मामलों को लेकर रायगढ जिला प्रशासन की मनमानियां हमेसा से सुर्खियों में रही है।। इस क्रम में धरमजयगढ़ तहसील के तहसीलदार द्वारा हाल ही में पंचायत चुनाव के तहत राज्य में लागू आदर्श आचार संहिता के दौरान एक अनापत्ति सम्बन्धी इश्तेहार जारी किया गया है।। जिसे लेकर पेसा कानून के जानकार और एक्टिविष्ट नाराज हो उठे है। इस विषय को लेकर जनचेतना के राजेश त्रिपाठी ने तहसीलदार धरमजयगढ़ के कृत्य को असंवैधानिक करार देते हुए तहसीलदार के इश्तेहार को पेशा एक्ट का उलंघन बताया है।। क्या है मामला :- तहसीलदार धरमजयगढ़ द्वारा 9 जनवरी 2020 को जारी एक स्वमुद्रित इश्तेहार जिसमें तहसील क्षेत्र के अंतर्गत secl दुर्गापुर की खुली खदान हेतु भूअर्जन की अग्रिम कारवाही को लेकर 31 जनवरी 2020 तक आपत्ति मांगी गई है। इस प्रक्रिया में चार प्रभावित गांवों की करीब 251 हेक्टेयर छोटे झाड़ की राजस्व भूमि का अधिग्रहण किया जाना है,इसे लेकर तहसीलदार ने राजस्व प्रकरण 121/ 2019-20 साकिन-तराईमाल पटवारी हल्का नम्बर 33 धरमजयगढ़ के दुर्गापुर प्रस्तावित खुली खदान के पक्ष में इश्तेहार चस्पा कर कहलवाया है कि स्थानीय लोग जो secl के भूअर्जन क्षेत्र ग्राम दुर्गापुर, धरमजयगढ़, तराईमाल और बायसी गांव के प्रभावित है,वो आवश्यक रूप से दिनांक 31/1/2020 तंक भूअर्जन के विरोध में आपत्ति प्रस्तुत कर सकता है। परन्तु दिनांक 31 ले बाद किसी भी प्रकार की दावा आपत्ति पर विचार नही किया जाएगा। राजेश त्रिपाठी के अनुसार तहसीलदार धरमजयगढ़ ऐसा नही कर सकते वो या तो प्रदेश मे पंचायत चुनाव के अंतर्गत लागू आदर्श आचार संहिता के विषय मे जानकारी नही रखते है या फिर पेसा क़ानून औऱ उसकी शर्तों को नही जानते है।
इसके अंतर्गत भूअर्जन की कोई भी प्रक्रिया या इश्तेहार का प्रकाशन पंचायत चुनाव के बीच नही किया जाना पेसा कानून का खुला उलंघन होगा।क्या है पेसा एक्ट…
पंचायती राज मंत्रालय द्वारा दिशा-निर्देश
उम्मीद की गई थी कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में पेसा लोगों के स्वशासन और सशक्तिकरण का नेतृत्व करेगा। हालांकि, वांछित स्तर तक पेसा का कार्यान्वयन नहीं किया गया है। पांचवीं अनुसूची के क्षेत्र गरीबी, अशिक्षा, कमजोर बुनियादी ढांचे और खराब शासन के अंतर्गत बने हुए हैं। पांचवीं अनुसूची के कई जिले भी उग्रवाद से प्रभावित हैं। राज्यों द्वारा कमजोर कार्यान्वयन पंचायती राज मंत्रालय के लिए एक चिंता का विषय रहा है। मंत्रालय ने राज्यों को समयबद्ध ढंग से प्रभावी कार्यान्वयन के लिए विभिन्न दिशा-निर्देश जारी किए हैं। पेसा के कार्यान्वयन पर सबसे व्यापक दिशा-निर्देशों को 21 मई 2010 को जारी किए गए थे। दिशा निर्देशों में राज्यों को निम्न सलाहें दी गई हैं: आदर्श (मॉडल) पेसा नियमों को अपनाना।राज्य पंचायती राज अधिनियमों में पेसा के प्रावधानों के अनुरूप संशोधन। खान एवं खनिज,लघु वनोपज, आबकारी, पैसा उधार देने, आदि पर कानूनों, नियमों, कार्यकारी निर्देशों में संशोधन ग्राम सभा को सशक्त बनाना और ग्राम सभा द्वावा पालन करने के लिए 2 अक्टूबर, 2009 को जारी दिशा निर्देशों का अनुपालन । मिशन मोड के रूप में ग्राम सभा को सक्रिय करना। पंचायत पदाधिकारियों (निर्वाचित प्रतिनिध एवं कर्मचारी) के लिए पेसा पर नियमित प्रशिक्षण का आयोजन। पेसा के कार्यान्वयन की समीक्षा करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर-विभागीय समिति का गठन। जनजाति सलाहकार परिषदों और जनजातीय अनुसंधान संस्थानों को सक्रिय करना। पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में प्रशासनिक मशीनरी को मजबूत बनाना।
राज्य निर्वाचन आयोगों को ”गांवों” को परिसीमित करने के लिए अधिदेश । वन अधिकार अधिनियम, 2006 में दी गई लघु वनोपजों की परिभाषा को सभी कानूनों और नियमों में शामिल करना।
“चुकी राज्य और जिले में पंचायत चुनाव 2020 के मद्देनजर शासन-प्रशासन ने आदर्श आचार संहिता लागू कर धारा 144 लगाया रखा है।। ऐसे में तहसीलदार धरमजयगढ़ के द्वारा जारी दुर्गापुर कोल ब्लॉक की अनापत्ति इश्तेहार की प्रक्रिया पूर्णत गलत और पेसा कानून के विपरीत है।।..राजेश त्रिपाठी जनचेतना