जोहार छहत्तीसगढ़-कोरबा। कोरबा जिले के हड़ताली डॉक्टरों की हड़ताल केवल मरीजों को परेशान करने तक ही रह गई है हड़ताल कर रहे डॉक्टरों का ना तो कहीं हड़ताल का बैनर दिख रहा और ना ही हड़ताली डॉक्टर वही हड़ताली डॉक्टर हड़ताल के नाम पर केवल दिखावा करते हुए घर में आराम कर रहे हैं सूत्रों के हवाले से यह भी बातें सामने आ रही हैं की कुछ हड़ताली डॉक्टर अपनी व निजी हॉस्पिटलों में सेवाएं दे रहे हैं तो कुछ फैमिली के साथ समय गुजार रहे हैं और इधर जिला अस्पताल में पहुंचने वाले मरीज परेशान हो रहे हैं खासकर वह मरीज सबसे ज्यादा परेशान हैं जो ग्रामीण क्षेत्र से और गरीब तबके के लोग जिला अस्पताल और सरकारी अस्पतालों में अपने इलाज के लिए पहुंच रहे हैं मजबूरी बस मरीज निजी क्लिनिको वह प्राइवेट अस्पतालों में मोटी रकम देकर इलाज कराने पर मजबूर हैं वैसे तो जिला अस्पताल हंड्रेड के नाम से जाना जाता है लेकिन आज पांचवे दिन तक डॉक्टरों के अस्पतालों में नहीं पहुंचने से भर्ती मरीज कुछ छुट्टी करा कर तो कुछ बिना छुट्टी के निजी अस्पतालों में जाने पर मजबूर हैं जहां एक और जिला अस्पताल में मरीजों भीड़ लगती थी आज जिला अस्पताल पूरा सुना हो गया है भर्ती मरीजों की बात करें तो पुरुष वार्ड में 27 बेड में मात्र 2 मरीज महिला वार्ड में 27 बेड में से 17 मरीज सर्जिकल वार्ड में 15 बेड में 4 मरीज वहीं दूसरे महिला वार्ड में 30 बेड में 8 मरीज बचे हैं और वह भी इलाज में कमी होने के कारण धीरे-धीरे जा रहे हैं,
एलोपैथी डॉक्टर की जगह आयुर्वेद डॉक्टर दे रहे सेवाएं आपातकालीन में डीएमएफ फंड से लगे डॉक्टरों की लगी ड्यूटी
जिला अस्पताल में हालात यह हैं कि एलोपैथी डॉक्टरों की जगह में आयुर्वेद डाक्टरों को बैठाया गया है जो एलोपैथी की जगह में आयुर्वेद से पहुंचने वाले मरीजों का इलाज कर रहे हैं वही डीएमएफ फंड द्वारा लगे डॉक्टरों को आपातकालीन मैं ड्यूटी लगाई गई है जहां अगर कोई मरीज गंभीर अवस्था में जिला अस्पताल पहुंचता है तो इनके द्वारा इलाज किया जा रहा है फिर भी हालात को देखते हुए मरीज जिला अस्पताल की जगह प्राइवेट अस्पताल में मोटी रकम देकर इलाज कराने पर मजबूर हैं वही वार्डों में भर्ती मरीज सही इलाज और समय पर डॉक्टरों द्वारा मरीजों की देख रेख मैं नहीं पहुंचने पर प्राइवेट अस्पतालों मे जा कर इलाज करा रहे हैं ।
हड़ताली डॉक्टरों के पास एक जगह बैठकर हड़ताल करने का समय नहीं घर में बैठकर और सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवाएं ना देकर कह रहे हड़ताल पर हैं
एक और जहां हड़ताली डॉक्टर कहीं हड़ताल करते हुए या एक जगह बैठ कर विरोध करते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं वही सरकारी अस्पतालों में सरकारी डॉक्टर सरकार से पेमेंट तो ले रहे हैं लेकिन ड्यूटी पर नहीं जाकर घर बैठे ही अपना विरोध जता रहे हैं जिसके कारण जहां शासन का पैसा व्यर्थ में जा रहा है वही सरकारी अस्पतालों में इलाज करने पहुंचने वाले गरीब तबके के मरीजों के जान के साथ खिलवाड़ और उनको परेशान किया जा रहा है हड़ताली डॉक्टर दोनों टाइम ओपीडी खुलने का विरोध कर रहे हैं ।
हड़ताली डाक्टरों पर नहीं हुई कार्यवाही
अपनी मांगों को लेकर हड़ताली डॉक्टर आज पांचवे दिन हड़ताल का हवाला देते हुए जिला अस्पताल में अपनी सेवाएं नहीं दी वही हड़ताली डाक्टरों पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई हालांकि उनको चेतावनी जरूर दी गई है ।