सुनिल अग्रवाल, जोहार छत्तीसगढ़-खरसिया। एसबीआई मतलब भारतीय स्टेट बैंक अर्थात भारत का बैंक, सरकार का बैंक। ग्राहक भी सरकारी बैंक होने के भरोसे में प्राइवेट बैंकों के लुभावने आफर तथा अनेक सुविधाओं को छोड़कर सरकारी बैंक होने की वजह से स्टेट बैंक से लेनदेन करना सुरक्षित समझते हैं, लेकिन खरसिया के स्टेट बैंक के कर्मचारी ग्राहकों से धोखेबाजी कर बैंक की साख पर बट्टा लगाने का काम कर रहे हैं। ब्रांच के स्टाफ द्वारा ग्राहक के साथ धोखाघड़ी का ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जब अपने खाते में पैसा जमा करने बैंक पहुंचे ग्राहक को काउंटर से पैसा जमा करने से मना करते हुए काउंटर में उसे बाहर मशीने से पैसा जमा करने की बात कही गई ग्राहक ने कहा कि उसे काउंटर से ही पैसे जमा करना है तो काउंटर पर मौजूद युवती ने कहा कि मशीन सुरक्षित और आसान तरीका है, और उसमें से जमा करने पर कोई चार्ज भी नहीं है, उसकी बात मानकर ग्राहक ने बैंक के बाहर की मशीन का इस्तेमाल कर अपने खाते में पैसे जमा कर दिए लेकिन पैसा जमा करने के कुछ मिनटों के बाद ग्राहक के खाते से 25 रुपये काट लिए गए। प्राइवेट बैंक मिनिमम बैलंस, एटीएम चार्ज, एक्स्ट्रा ट्रांसेक्शन जैसे अनेको सर्विस के नाम पर ग्राहकों से मनमानी वसूली करते हैं लेकिन सरकारी बैंकों ने भी अब ग्राहकों को अंधेरे में रख उनके साथ धोखाधड़ी शुरू कर दी है। बैंकों के इस प्रकार के कृत्य से जहां बैंकों की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह उठते हैं वहीं ग्राहकों का भरोसा भी ऐसे बैंकों से खत्म हो जाता हैं।
शाखा प्रबंधक का नहीं उठा फोन
इस संबंध में भारतीय स्टेटे बैंक खरसिया के शाखा प्रबंधक आर. के. अग्रवाल से संपर्क करने पर पहले तो उनके द्वारा ब्रांच में न होने की बात कही गई, बाद में उनके द्वारा फोन ही नहीं उठाया गया, जिससे सिद्ध होता है कि अधिकारी अपने ग्राहकों के लिये कितने समर्पित है।
जानकारी देना अनिवार्य
बैंक द्वारा लगाये जाने वाले शुल्क के संबंध में जानकारों का कहना है कि अलग-अलग बैंकों द्वारा अलग -अलग सेवा के लिये अलग-अलग शुल्क चार्ज किया जाता है, और बैंकों के लिये अपने ग्राहकों को इन सभी शुल्कों की जानकारी देना अनिवार्य है, लेकिन स्टेट बैंक द्वारा ग्राहकों को जानकारी देना तो दूर उल्टे अपने ग्राहकों को धोखे में रखकर उनकी जेब पर डाका डाला जा रहा है।