Home समाचार प्राकृतिक नदियों को सवारने की बजाय कर रहे प्रदूषित राखड़ डेम से...

प्राकृतिक नदियों को सवारने की बजाय कर रहे प्रदूषित राखड़ डेम से पट गई नदियां पर्यावरण अधिकारी की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल … एक दिन पहले निरीक्षण पर गए पर्यावरण अधिकारी को नहीं दिखा था नदी में बहती राखड़

64
0

प्रीतम जायसवाल, जोहार छत्तीसगढ़-कोरबा। बिजली उत्पादन कंपनी पश्चिम के डिंडोलभांठा में स्थित ऐश डेम से छोड़े गए राखडयुक्त पानी से अहिरन नदी का रंग पूरी तरह से बदल गया है, 5 इंच राखड़ की मोटी परत नदी का जलस्तर कम होने पर दिखाई देने लगता है, मगर हैरानी की बात है कि कंपनी के सिविल विभाग के जिम्मेदार अफ सर भूलवश होना बताते हैं तो दूसरी ओर एक दिन पहले गुरुवार को निरीक्षण पर गए पर्यावरण संरक्षण मंडल के जिला अधिकारी आरपी शिंदे को नदी में बहते राखड़ व इसकी जमी मोटी परत दिखाई ही नहीं देती है और फिर से जाकर देखने की बात कहते हैं। नदी के पानी के बदले रंग व राखड़ की जमी मोटी परत से एक बात तो साफ है कि महज एक-दो दिन छोड़े राखड़ के पानी से यह हालात नहीं बने होंगे। बिजली उत्पादन कंपनी पश्चिम के 1340 मेगावाट का ऐश डेम ग्राम डिंडोलभांठा में स्थित है। यहां से राखडयुक्त पानी को अहिरन नदी में छोड़ा जा रहा है। इससे नदी में 5 इंच का परत जम गया है। एक माह से राखड़ आने से नदी का पानी निस्तारी लायक नहीं रह गया है। इसकी वजह से आसपास गांव के लोग परेशान हैं। अहिरन नदी बरमपुर के पास हसदेव नदी से मिलती है। इसकी वजह से ही हसदेव का पानी राखडयुक्त हो गया है। राखड़ डेम के लिए पंडरीपानी, बिरवट, छिरहुट, डिंडोलभांठा, डोड़कीधरी गांव की जमीन ली गई थी। इन्हीं गांवों के लोग अहिरन नदी के पानी से निस्तारी करते हैं। जिन्हें सबसे अधिक परेशानी हो रही है। राखडयुक्त पानी के कारण कई तरह की बीमारी हो सकती है। प्रबंधन ने राखड़ डेम के पाइप के मुहाने को भी नदी की तरफ किया है। ताकि राखड़ नदी में प्रवाहित किया जा सके। हालांकि कंपनी के अधिकारी ऐसी योजनाबद्ध तरीके से पाइप के मुहाने को नदी तरफ रखने की बात से जरूर इनकार कर रहे हैं। दूसरी ओर पाइप जनरेशन के लिए पाइप चलाने और अब पाइप बंद करा देने की बात कह रहे हैं।
ग्रामीणों की भी सुने
डिंडोलभांठा के अजय कुमार, प्रकाश दास महंत, मनराम सारथी व सुरेश कुमार का कहना है कि उनके खेतों में भी राखड़ पानी चले जाने से फ सल भी चौपट हो गई है। प्रशासन की ओर से कोई उपाय कर राहत दें। पहले अहिरन नदी का उपयोग पीने के लिए कर लेते थेए अब तो पानी का रंग ही राखडयुक्त हो गया है। शिकायत पर अफ सर अपनी जिम्मेदारियों से बचने उन पर ही आरोप लगाते हैं। आंदोलन करने पर कुछ दिनों तक नदी में राखड़ नहीं बहाया जाता है। इसके बाद फि र से वही स्थिति बन जाती है। नदी में राखड़ छोड़े जाने से पानी का निस्तारी में उपयोग करने पर स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here