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शिक्षा को लेकर विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी गंभीर नहीं … स्कूल समय में बीईओ ऑफिस में हमेशा रहते हैं 4-5 शिक्षाकर्मी … शिक्षा अधिकारी की सुस्त रवैया से शिक्षा व्यवस्था चौपट

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जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़। रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ विकासखण्ड में शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रहे हैं। शिक्षा व्यवस्था विकास खण्ड में ऐसे चल रहे हैं जैसे कि इसको देख रेख करने वाला कोई नहीं हैै। शिक्षा व्यवस्था का हाल क्या है शिक्षा अधिकारी को मालूम होने के बाद भी एक दिन भी विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी स्कूलों की भ्रमण करने नहीं जाते हैं। अधिकारी सिर्फ नेताओं को खुश करने में लगे रहते हैं कौन नेता क्या कह रहे हैं और उनको खुश कैसे करना है इसी में व्यस्थ होने के कारण विकास खण्ड में शिक्षा व्यवस्था चौपट हो रहे हैं।
शिक्षक स्कूल छोड़ बीईओ आफिस में करते हैं काम
शासन का सख्त निर्देश है कि किसी भी शिक्षक को दूसरे जगह संलग्न नहीं किया जा सकता है लेकिन इसके बाद भी विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी धरमजयगढ़ द्वारा शिक्षकों को अपने मनमाफिक जगह पर संलग्न कर रखे हैं। ऐसा करना सरासर गलत है इसके बाद भी शिक्षा अधिकारी ने ऐसे कई शिक्षक को दूसरे स्थान पर संलग्न कर रखे हैं। मजेदार बात है कि विकासखण्ड कार्यालय में हर दिन कई शिक्षकों को आफिस में बैठकर आफिस का काम करते देखा जाता है जबकि इनकी पद स्थापना किसी गांव के स्कूल होने के बाद भी स्कूल समय में स्कूल में न जा से बीईओ के सामने ही बैठकर आफिस में काम करते हैं।
शिक्षक मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर रहते हैं
शासन के नियम कानून को ठेंगा दिखाते हुए विकासखण्ड के शिक्षकों द्वारा अपने निर्धारित मुख्यालय में न रहते हुए विकासखण्ड मुख्यालय में निवास करते हैं ऐसे करने से शिक्षक सही समय में स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे कई शिक्षक हैं जो स्कूल से 40 किलोमीटर दूर से आना-जाना करते हैं अब आप ही सोचिए की ऐसे शिक्षक जो सही समय पर स्कूल नहीं जाते वह शिक्षक बच्चों को क्या पढ़ाई करवाते होंगे। शिक्षक सिर्फ अपना हाजरी भरने के लिए स्कूल जाते हैं शिक्षा से कोई लेना देना नहीं है। इन सब बातों की जानकारी विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी को होने के बाद भी शिक्षा अधिकारी का मौन रहना कई गंभीर सवाल को जन्म दे रहा है।
कहीं कमीशन का खेल तो नहीं?
हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है कि अधिकारी अपने अधिनस्थ कर्मचारियों को मुख्यालय में नहीं रहने पर उसके एवज में हर माह खर्चा लेते हैं। आखिर यह बात कितना सच है यह तो अधिकारी ही बता पायेंगे। लेकिन एक बात तो साफ है कि ऐसे कर्मचारियों पर अधिकारी कार्यवाही नहीं करने का कोई न कोई कारण तो होगा।

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