जोहार छत्तीसगढ़-लैलूंगा। लैलूंगा विकास खण्ड के गांव में राशन की दुकानों पर धीरे से चर्चा हो रहा है छतीसगढ़िया भपेश दाऊ ले तो ओ चाउर वाले बाबा ही बढ़िया रिहिस कम से कम खाये बर ठीक से चाउर चना नून तो मिल तो जता रिहिस नवा कार्ड में नवा फोटो लगे के बाद तो राशन दुकान में 35 के जगह 30 किलो चाउर मिलत हे, चना तो चूर होंगे,ऐसी चर्चाओं के साथ गांव के लोग सरकार को कोस रहे हैं।जब गांव का हितग्राही राशन की दुकान में चावल लेने जा रहा है तो उसको राशन दुकान के संचालक ये कह कर चुना लगा रहे हैं कि इस बार pds से सरकार ने ही काटकर कम चावल दिया है इस लिए हम भी हितग्राहियों को 5 किलो काट कर चावल दे रहे हैं पर सोचनेवाली बात है कि जब 5किलो कम चावल दिया जा रहा है तो वितरण पंजी में भी 30 किलो लिखना चाहिए,लेकिन पंजी में तो 35 किलो ही चढ़ाया जा रहा है।जब हितग्राही इस का विरोध कर रहे तो कहीं कहीं वितरण करनेवालों के साथ विवाद की स्थिति बन रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि ये जो चावल कट के आ रहा है ये जा कहाँ रहा है ।अगर कट रहा है तो पंजी में पूरा क्यो चढ़ाया जा रहा है।आखिर गरीब इसका जवाब किससे पूछे ?नई सरकार की नई उम्मीदे सब छलावा साबित हो रही है।बेरोजगारी भत्ता की बात बेईमानी हो गई और राशन के नाम पर मिलने वाले चार दाने पर भी डकैती हो रही है जनता को ग़ुमराह किया जा रहा है। क्या यही है बदलता छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ की जनता के निवाले को छीनकर आखिर सरकार कैसी सरकार चलना चाहती है।जब इस बात को जनता हितग्राहियों ने सवाल खड़ा किया तो कुछ गांव के कांग्रेस से जुड़े लोग समझने के लिए लग रहे हैं कि सरकार की किरकिरी न हो ये नही सोच रहे कि गरीब को उसका हक मिले बिडम्बना है राजनीति की अधिकार दिलाने की राजनीति होनी चाहिए पर किसे पड़ी है जनता की सब सरकार के रागदरबारी हैं ।जनता जाए भड़ में। ऐसे में बस भुपेश बघेल से कहेंगे कि दाऊ मत छीनों निवाला गरीबों का फिर जैसा गढ़ना है गढ़ लो छत्तीसगढ़।