जोहर छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
धरमजयगढ़ विकासखंड को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए सभी ग्राम पंचायतों को पर्याप्त राशि शासन से मुहैया कराई गई। स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत विकासखंड के लगभग 118 ग्रामपंचायत को खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायत का दर्जा दिया गया। जिसमें चिडोडीह भालूपखना ग्राम पंचायत भी आती है। ग्राम पंचायत चिडोडीह को भी शौचालय निर्माण के लिए शासन से लाखों की राशि प्राप्त हुई थी परंतु आज भी चिडोडीह के ग्रामीण खुले में शौच करने को मजबूर है क्योंकि शासन से प्राप्त हुई लाखों की राशि को सरपंच-सचिव द्वारा डकार लिया गया। जिसका नतीजा यह है कि आज तक चिडोडीह में बने शौचालय अर्धनिर्मित पड़े है। हमारी टीम ने मामले की जानकारी के लिए जब चिडोडीह सरपंच सेबेस्त्यनी कुजूर से बात की तो उन्होंने बताया कि वह 2 बार सरपंच चुनाव जीत चुकी है परंतु खास बात यह थी कि सेबेस्त्यनी कुजूर सिर्फ नाम की सरपंच है। पंचायत का पूरा कार्य तो उनके पति सम्हालते है। उन्होंने जानकारी देते हुए आगे कहा कि हमारे ग्राम पंचायत में 300 से ज्यादा शौचालयों का निर्माण हुआ है।
परंतु चिडोडीह सचिव बिखल साय ने बताया कि उनके पंचायत में 312 हितग्राहियों का शौचालय पास हुआ था जिसमे से 300 शौचालयों का निर्माण लगभग पूर्ण हो चुका है 12 शौचालयों का निर्माण शेष है। इस मामले में हितग्राहियों ने बताया कि उनका शौचालय तो अर्धनिर्मित पड़ा हुआ है। जिसमें शौच करते तो बनता ही नहीं व इसे बनवाने के लिए उन्हें कोई राशि भी प्राप्त नहीं हुई। यह योजनाएं सिर्फ सरकारी पन्नों में अपना दम तोड़ रही है। इसलिए आज भी ग्रामीण जंगल-झाडिय़ों में जाने को मजबूर है। यहां शौचालयों की दीवार गिरी है तो किसी मे सीटए,सेप्टिक, दरवाजा तक नहीं है। हमारा धरमजयगढ़ विकासखंड हाथी प्रभावित क्षेत्र है। जहां हमेशा ही हाथियों का डर लगा रहता है। ऐसे में हमारी मां-बहनों को अंधेरे में लाज से शौच करने जान के खतरे में भी जाना पड़ता है। ऐसे में विकासखंड के अधिकारियों का कर्तव्य है कि वह ग्राम पंचायतों में बने ऐसे घटिया शौचालयों की जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करे ताकि केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत योजना जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं में कोई भी धांधली ना कर सके।