उमा यादव धरमजयगढ़। स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत धरमजयगढ़ विकासखण्ड के 118 ग्राम पंचायत को खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायत का दर्जा दिया गया है। स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत ग्राम पंचायत अमलीटिकरा पंचायत को भी लाखों रूपये शौचालय बनाने के लिए शासन से मिला है। शासन से मिले राशि को सरपंच-सचिव ने खुलकर भ्रष्टाचार करते हुए गोलमाल किया। जिसका नतीजा है कि आज ग्राम पंचायत अमलीटिकरा के ग्रामीण खुले में शौच करते हैं। ग्रामीणों सचिव पर आरोप लगाये हैं कि सचिव शौचालय निर्माण करने का ठेका दुर्गापुर के एक बंगाली ठेकेदार को दिया था ठेकेदार ने एकदम घटिया शौचालय निर्माण किया है ठेकेदार द्वारा किया गया शौचालय निर्माण अधूरा है पंचायत द्वारा बनाया गया एक भी शौचालय उपयोग करने योग्य नहीं है। अधिकतर शौचालय में सीट नहीं लगाया गया है। जिसमें सीट लगाया है उसमें सेप्टिक टैंक नहीं बनाया है। ऐसे में ग्रामीण उस शौचालय का क्या करें ये सोच कर ग्रामीण शौचालय परेशान है।
शौचालय बना ग्रामीणों के लिए जी का जंजाल
ग्रामीणों की माने तो ग्राम पंचायत द्वारा ठेके प्रथा से बनाया गया शौचालय ग्रामीणों के लिए जी का जंजाल बन गया है। क्योंकि अमलीटिकरा पंचायत के आधे से अधिक घरों में शौचालय नहीं बना है और जिसके घर में शौचालय बना है उसमें शौच करने बनता ही नहीं इसलिए ग्रामीणों ने बताया कि हम लोग शौचालय में साग सब्जी के पौधा को चढ़ा दिये हैं ताकि कम से कम शौचालय इस काम के लिए तो इस्तेमाल हो जाये। ग्रामीणों ने सरपंच-सचिव पर लाखों रूपये घोटाला करने का आरोप लगाया है ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच-सचिव इतना अधिक घोटाला कर रखे हैं कि अगर जांच हो जाये तो ये दोनों जेल में ही रह जायेंगे। ग्रामीणों ने बताया कि सचिव का स्थानांतरण हुए कई महिने होने के बाद भी यहां से नहीं जाने का कारण भी ये ही है कि कोई दूसरा सचिव आ जायेगा तो इनका घोटाला उजागर न हो जाये इसके डर से सचिव नया सचिव को प्रभार नहीं दे रहा है।
सिर्फ दिवार में ही स्वच्छता अभियान
पंचायत सचिव द्वारा स्वच्छ भारत मिशन योजना की तो धज्जियां ही उड़ाकर रख दिया है। ग्रामीणों के दिवाल पर नारा लिखकर खुले में शौच न जाने का मुफ्त में सलाह तो दिया गया है। अब ग्रामीणों के घर में शौचालय बनाया ही नहीं है तो फिर ग्रामीण खुले में शौच करने नहीं जायेंगे तो कहां जायेंगे। हमारे टीम को स्वच्छ भारत मिशन का सुंदर-सुंदर कोई दिवाल लेखन दिखा दिवाल लेखन देखकर तो ऐसा लगता है कि इस पंचायत में एक भी परिवार खुले में शौच करने नहीं जाते होंगे। लेकिन जब हमारे टीम ने ग्रामीणों के घर में जाकर शौचालय का निरीक्षण किया तो ग्रामीणों ने जो बोला उसे सूनकर हमारे टीम भी एक बार सन्न रह गये। कुछ घर में शौचालय तो बना हुआ देखा लेकिन शौचालय सिर्फ दिखावा के लिए बनाया गया है शौच करने के लिए नहीं।
क्या अधिकारी करेंगे शौचालय की जांच ?
ग्रामीणों ने अधिकारियों से मांग किया है कि सरपंच-सचिव द्वारा बनाया गया शौचालय की जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करें ताकि केन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना की स्वच्छ भारत योजना की धज्जियां न उड़ा सके।