धरमजयगढ़।
धरमजयगढ़ जनपद पंचायत भ्रष्टाचार का गढ़ बनता जा रहा है अधिकारियों की सुस्त रवयै के कारण ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव भ्रष्टाचार की सीमा पर कर रहे हंै। भ्रष्ट सचिवों को किसी अधिकारी-कर्मचारियों का कोई डर भय नहीं है। सरपंच-सचिव खुुलकर बोलते हैं कि हम क्या करें हमारे साहब तो हर काम में कमीशन मांगते हंै। हम लोग भ्रष्टाचार नहीं करेंगे तो क्या घर से साहब को कमीशन देंगे। साहब कमीशन लेना बंद कर दे तो निर्माण कार्य भी गुणवत्ता के साथ होगा। ये हाल है धरमजयगढ़ जनपद पंचायत का। धरमजयगढ़ जनपद पंचायत को शासन द्वारा ओडीएफ घोषित किया गया है। ओडीएफ का मतलब होता है खुले में शौच मुक्त, सरपंच-सचिव और अधिकारी मिलकर लाखों का गोलमाल करते हुए विकासखण्ड को ओडीएफ तो घोषित कर दिया लेकिन यह ओडीएफ सिर्फ कागजों में ही बना है धरातल में नहीं। विकासखण्ड मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर मुख्य सड़क किनारे बसा ग्राम पंचायत खडग़ांव का हाल तो इतना बूरा है कि यहां के अधिकत्तर ग्रामीण खुले में शौच करते हैं लेकिल शासकीय रिकार्ड में यह ग्राम पंचायत खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायत है।
सचिव की लापरवाही से ग्रामीणों का नहीं बन पाया शौचालय
सरपंच और सचिव जेरोमिना दोनों ने मिलकर खुलकर शौचालय निर्माण में भ्रष्टाचार किया गया है ग्रामीणों के घर में बने शौचायल इतना घटिया है कि इसका दरवाजा छूते ही बाहर निकल कर आ जाते हैं। शौचायल में गड्ढा तक नहीं खोदा गया है। पंचायत में जितना परिवार निवास करते हैं उतना शौचालय सचिव द्वारा निर्माण नहीं किया है उसके बाद भी 100 प्रतिशत शौचालय निर्माण होना बता कर शासकीय राशि का बंदरबांट कर लिया गया।
मनरेगा का काम जेसीबी मशीन से
इस पंचायत में घोटाला ही घोटाला देखने को मिलता है शासन द्वारा मनरेगा का कार्य को मजदूरों द्वारा करवाने का नियाम होने के बाद भी सरपंच-सचिव द्वारा खुलकर जेसीबी मशीन से करवा गया है। जबकि इसकी खबर मनरेगा के पीओ व जनपद पंचायत के अधिकारी-कर्मचारियों को पूरी तरह है लेकिन बात वहीं पर आकर रूक जाती है, अधिकारियों को कमीशन जो देना है सरपंच-सचिव को।
शासकीय मीटिंग में सरपंच नहीं ससुर आते हैं
जब हमारे टीम ने सरपंच शैलेन्द्री राठिया से ग्राम पंचायत की जानकारी मांगी तो सरपंच ने कुछ भी जवाब नहीं दे सकी बस इतना ही बोली सकी कि मैं तो सिर्फ नाम के लिए सरपंच हूं, मेरे ससुर जी पूरा ऑफिस ले लेकर पंचायत का काम करते हैं मैं नहीं बता पाऊंगी। अब सोचिए कि सरपंच के जगह सरपंच के ससुर आते हैं अधिकारियों के पास काम करवाने के लिए। अधिकारियों को मालूम है कि सरपंच महिला है और सरकारी पाईल सरपंच नहीं ससुर लेके आ रहे हैं उसके बाद भी अधिकारियों को कोई आपत्ति नहीं होता है अब आप खुद ही समझ सकते हैं क्या माजरा है। सरपंच ने यह तक बताये कि मीटिंग भी नहीं आती है पूरा काम ससुर ही करते हैं।
सचिव कभी कभार ही आते हैं ग्राम पंचायत
ग्रामीणों ने सचिव के मुख्यालय में नहीं रहने के कारण ग्रामीणों को परेशानी होने की बात हमारे टीम को बातया हैं ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच-सचिव ने ग्राम पंचायत के सभी निर्माण कार्य ठेके में दे दिया जाता है और ठेकेदार द्वार घटिया निर्माण कर चले जाते हैं निर्माण कार्य को न तो सरपंच देखने आते हंै और न तो सचिव। सचिव कभी कभार ही मुख्यालय आते है तो फिर वह क्या निर्माण कार्य देखेंगे ग्रामीणों का सही भी साबित होता है यहां के निर्माण कार्य की दशा देखकर। शौचालय निर्माण एवं अन्य निर्माण की अगर सही जांच की जाये तो सरपंच-सचिव द्वारा किये गये भ्रष्टाचार की पोल खुल जायेगा। लेकिन सवाल उठता है कि इस घोटाला की जांच करेगा कौन सबका तो कमीशन सेट है।