धरमजयगढ़।

धरमजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह राठिया 5 सितंबर को बालक उच्चतर माध्यमिक शाला में शिक्षक दिवस के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद अचानक सिविल अस्पताल के निरीक्षण करने पहुंचे। विधायक राठिया ने अस्पताल में भर्ती मरीजों से उनके हालचाल जानने पर मरीजों ने विधायक को बताए कि अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा सरकारी दावा काम बाहर की दवाई अधिक लिखते हैं और अगर कोई मरीज बाहर की दवाई नहीं लाते हैं तो इलाज करने से इनकार कर देते हैं। मरीजों को मजबूरी में बाहर की मंहगी दवाई लेना पड़ता है। विधायक मरीजों की परेशानी को सुनते ही प्रभारी चिकित्सक को फटकार लगाते हुए व्यवस्था को सुधारने हिदायत दी है। लेकिन सिविल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक ही सबसे अधिक बाहर की मंहगी दवा लिखते हैं जिसके कारण प्रभारी चिकित्सक अपने अधिनस्थ डॉक्टरों पर बाहर की दवा लिखने के लिए प्रतिबंध नहीं लगा पाते हैं।
पूर्व में एसडीएम ने भी कई बार लगाई फटकार
एसडीएम धरमजयगढ़ ने सिविल अस्पताल के डॉक्टरों को कई बार इसी बात पर फटकार लगाई लेकिन सिविल अस्पताल के डॉक्टर सुधारने का नाम नहीं ले रहे हैं। डॉक्टर फटकार के बाद दवा लिखने का तरीक बदल लिए हैं ये मरीजों के पर्ची में बाहरी दवा नहीं लिखते हैं ये कागज के छोटे से टुकड़े में बाहर की दवाई लिखकर मरीज को देते हैं। शासन द्वारा अस्पताल में मरीजों के लिए दिये गये सरकारी दावा को एक्सपायरी होते तक नहीं लिखते हैं। एक्सपायरी के बाद सरकारी दवा को आग के हवाले कर देेते हैं लेकिन मरीज को नहीं देते हैं।
मरीजों को अपने मनपसंद मेडिकल से दवा लेने करते हैं मजबूर
कमीशन के चक्कर मे सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने अपने मन पसंद मेडिकल से मरीजों को दवा लेने को मजबूर करते हैं। कोई मरीज अगर दूसरे दुकान से दवा लाते हैं तो दवाई को वापस कर देते हैं वापस करने का कारण है कि डॉक्टर को कमीशन नहीं मिलना। कमीशन के चक्कर में मरीजों को डुप्लीकेट दवाई कर पर्ची थामा देते हैं। डॉक्टरों को भगवान कहा जाता है लेकिन सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने कमीशन के चक्कर मे मरीजों के जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
भर्ती मरीजों को जबरन लिखते हैं मंहगी एंटीबायोटिक
अस्पताल के एक कर्मचारी ने नाम न छापने के शर्त पर बताये की अस्पताल के डॉक्टर मरीजों को जबरन अपनी जेब भरने के चक्कर में बाहर की मंहगी एंटीबायटिक लिख देते है जबकि अस्पताल में उक्त दवाई उपलब्ध रहने के बाद वही बाहर की दवाई भर्ती मरीजों को लिखते हैु और मरीजों को साफ शब्दों में हिदायत देते है कि कौन सी मेडिकल से दवाई लाना है।
मरीजों को बाहर के लैब से करवाते हैं जांच
अस्पताल में सभी बीमारी की जांच सुविधा होने के बाद भी मरीजों को जांच के लिए बाहर भेजते हैं। जबकि सरकारी अस्पताल में सुविधा है डॉक्टर यहां भी कमीशन का खेल खेलते हैं और मरीजों को समझाया जाता है कौन सा लैब से जांच करवानी है।
क्या अब नहीं लिखेंगे बाहर की महंगी दवा?
बाहर की दवा लिखने के कारण जब से डॉक्टर एसएस भगत को सिविल अस्पताल का प्रभारी डॉक्टर बनाया गया है तब से आज तक कई बार फटकर लगाया है लेकिन अस्पताल की व्यवस्था को नहीं सुधार पा रहे हैं। जिसका नतीजा है कि आज एक बार फिर विधायक ने डॉक्टर को फटकार लगाई है। अब देखना है कि विधायक के फटकार का असर डॉक्टरों पर क्या पड़ता है?