रामकृष्ण पाठक कूड़ेकेला। आए दिन गणेश हाथी का उत्पात बढ़ता जा रहा है जिससे छाल वन रेंज क्षेत्र के रहवासी शाम होते ही अपने घरों में सिमट कर रह जा रहे हैं, एक तो प्रकृति का मार लंबे समय अंतराल के बाद बारिश का होना और उस पर पिछड़े खेती को किसान दिन रात एक कर जल्द से जल्द खेती रोपाई बुनाई को पूर्ण करने में लगे हैं वही गणेश हाथी का अचानक समय बे समय कहीं भी आ धमकाना और छिपकर वार करना क्षेत्र के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है। जहां यह गणेश हाथी पूर्व में रात को ही विचरण करता था किंतु अब कुछ हुआ यूं कि हाथी का आने-जाने घूमने का कोई समय सीमा तय नहीं यह कहना गणेश हाथी के लिएगलत होगा कि दिन में घने जंगलों के बीच अन्य हाथियों की तरह विश्राम कर शाम के 5:00 बजे के बाद विचरण है हेतु जंगल से खेतों की ओर वआबादी क्षेत्र की ओर आना तथा पुनः भोर के 03, 04 बजे बस्ती से घने जंगलों के अंदर चला जाना।यह हाथियो का स्वभाव है।और गणेश नमक हाथी का पूर्व में यही क्रिया कलाप था किंतु अब आलम यह है कि गणेश हाथी कभी भी कहीं भी आ धमकता है और अपना गुस्सा चाहे वह मानव हो, मशीनरी उपकरण हो, चौक, चौराहा हो या कोई स्मारक चिन्ह उस पर अपना गुस्सा उतारते नजर आ रहा है यह चीज पूर्व में देखा जा चुका है लामीखार गांव में एक युवक को मारने के बाद गणेश का गुस्सा शांत नहीं हुआ तो वह एक विशालकाय पेड़ पर अपना गुस्सा दिखाया और उसके पूरे छाल को अपनी दांत से मार मार कर निकाल दिया,डोंगाबौना के पास खराब पड़ी ट्रक के दरवाजे को तोड़ दिया और हाल ही में घरघोड़ा छाल मुख्य मार्ग में बोजिया के पास कोयला परिवहन ट्रेलर के शीशे तोड़ चालक को मौत के घाट गणेश हाथी ने ही उतार दिया और बीती रात चुहक़ीमार के माटी पुत्र शहीद टानिक लाल जो कि दुश्मनों के आई डी बम में फंस कर शहीद हो गये थे उनके नाम का स्मारक चिन्ह को गणेश हाथी ने तोड़फोड़ कर ध्वस्त कर दिया। अगर समय रहते गणेश हाथी के लिए विभाग कुछ उचित पहल नहीं करती है तो आक्रोशित ग्रामीण कुछ गलत कदम ना उठा ले। वहीं अगर हम पूर्व में वन विभाग द्वारा किए कार्य की ओर ध्यान दें तो गणेश हाथी को महीनों ट्रेस कर कुंभी हाथी का सहारा लेकर कोरबा वन मंडल धरमजयगढ़ वन मंडल के अथक प्रयास से गणेश हाथी को अपनी गिरफ्त में ले लिया था किंतु यह हाथी उत्पाती होने के कारण थोड़ा होश में आते ही अपना उत्पात मचाना शुरू कर देता था जिसे अंबिकापुर अभ्यारण ले जाने का था और इसके लिए उसे 16 से 18 घंटे के लिए बेहोश करना विशेषज्ञों की मानें तो उचित नहीं पाया गया और गणेश के बिगड़ते हालात को देख स्वतंत्र छोड़ दिया गया।
वन विभाग के पास आ रही समस्या गणेश हाथी को लेकर
नितिन सिंघवी जिसे लोग एनिमल लवर के नाम से जानते हैं उनके द्वारा महज एक पक्ष को देखकर किसी परिणाम तक जाने से रोकने के लिए कोर्ट में याचिका दायर किया गया जबकि अगर सिंघवी जी आते आकर रेंज की स्थिति को देखते महसूस करते यहां के हजारों ग्रामीणों की दहशत जो कि गणेश हाथी को लेकर है तो शायद उन्हें लगता कि वन विभाग को जल्द से जल्द गणेश हाथी के लिए उचित पहल करनी चाहिए इतना ही नहीं कुछ एनजीओ जो सुदूर अंचल में बैठे देख रहे हैं कि गणेश हाथी एक जीव पर अत्याचार हो रहा है किंतु यह नहीं देखा जा रहा है कि यहां के लोग किस दहसत के माहौल में जी रहे हैं घर से निकला व्यक्ति जब तक घर को नहीं आ जाता डर का माहौल बना रहता है कि कब कहां और क्या हो गया।
वन मंडल अधिकारी प्रणव मिश्रा:- गणेश हाथी का उत्पात आए दिन बढ़ता जा रहा है इसने अभी तक सबसे ज्यादा जन हानि पहुंचाई है जिसकी रिपोर्ट उच्च स्तर पर अधिकारियों को भेजी जा चुकी है आगे जो निर्देश आते हैं उस पर कार्य किया जाएगा।