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टुटे-फू टे छत के साये में जिंदगी और मौत के बीच झूलती प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला परसा के नौ निहाल बच्चे

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संजय सारथी धरमजयगढ़।

विकासखंड के परसा प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला की दीवारें फूटी हुई छत टुट-टूट कर गिट्टी, सीमेंट, रेत नीचे गिरता हुआ जो कि बेहद ही जर्जर हैं कभी भी किसी भी समय अनहोनी हो सकती है। नौनिहाल मौत के साये में टूटे-फूटे छत के नीचे बैठकर जान जोखिम में डालकर पढऩे को मजबूर हैं अभी बरसात के दिनों में क्लास रूम खंडहर में तब्दील हो जाता है। स्कूली बच्चे व ग्रामीणों, शिक्षकों का भी कहना है की स्कूल को प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी झांकने तक नहीं आते। इतनी लचार शिक्षा विभाग की व्यवस्था है सरकार की हकीकत अगर किसी को देखना है और जानना है तो रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ विकासखंड की बात करते रहे हैं। हम जहां आ के देख सकते हैं प्रशासनिक अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से दूर भागते हुए नजर आ रहे हैं। यहां की स्कूले किसी को नजर आती हुई दिखाई नई दे रही हैं। प्रसाशन नौनिहाल बच्चे की जान के साथ खिलवाड़ कर रही है। किसी अनहोनी के इंतजार में बैठे हुए है। प्रारम्भिक शिक्षा बच्चों की जीवन का महत्वपूर्ण अंग होती है। इस उम्र में जैसे परिस्थिति में ढलते हैं वैसे ही बन जाते हैं। जिस उम्र में अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए उस समय बच्चे पढऩे बैठने को तरस रहे हैं कम से कम शिक्षा में तो खिलवाड़ न किया जाए क्योंकि यही नौनिहाल बच्चे कल हमारे देश के कर्णधार बनेंगे। बच्चे मौत के साये में अध्य्यन करने को मजबूर हैं। शासन-प्रशासन भले ही अपनी दलीलें देकर पल्ला झाड़ ले, शिक्षक व प्रशासनिक अधिकारी शाला विकास समिति की लापरवाही से आज नौनिहाल बच्चों का भविष्य मौत के साए में है। खास बात है कि कभी अधिकारी निरीक्षण के लिए नहीं आते तभी तो यहां की स्थिति दयनीय है यहां तो प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी शिक्षा विभाग के अपने में मंदमस्त हैं। जबकि यह सारी वाक्य बाते स्वयं शिक्षा मंत्री के जिले की है। अब एक प्रश्न उठता हुआ प्रश्न चिन्ह् लगता है। उनके ऊपर उनका स्वयं का जिला ऐसी स्थिति में है तो पूरे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को कैसे उबारेंगे यह देखने और सोचने वाली बात होगी। हमारी जोहार छत्तीसगढ़ ने एक मुहिम छेड़ी है। शिक्षा में खिलवाड़ करके देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना किया जाए शिक्षा के लिए तो हमेशा से ही हमारी अखबार ने आवाज उठाई है और आगे भी उठाते रहेगी।

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