अशोक भगत लैलूंगा। विकासखण्ड मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर बसा ग्राम पंचायत कुपाकानी के लोग जनप्रतिनिधियों की लपरवाही का खामियजा इस कदर भुगत रहे हैं कि ये लोग आज के आधुनिक युग में भी ढोढ़ी का पानी पीने को मजबूर है।
इस ग्राम पंचायत को शासन से मिलने वाली सुविधा के नाम पर सिर्फ सरपंच-सचिव ने ग्रामीणों को धोखा ही दिया है। क्योंकि सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं मिल रहा है कुपाकानी के लोगों को। सबसे मजेदार बात है कि इस ग्राम पंचायत सचिव पर जनपद पंचातय अधिकारी इतनी मेहरबान हैं कि इनको तीन-तीन ग्राम पंचायत का प्रभार दे रखा है। एक पंचायत सचिव को तीन पंचायत का प्रभार देना कहा तक न्याय संगत है यह सोचने का विषय है। एक पंचायत से दूसरे पंचायत की दूरी 10 किलोमीटर है तो एक सचिव कितने समय पंचायत जाते होंगे ये सोचिए। तीन पंचायत का प्रभार होने के कारण सचिव पंचायत के कामों को ध्यान कम अपनी कमाई पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।
नतीजा देखिए कि ग्राम पंचायत कुपाकानी को ओडीएफ का दर्जा तो दे दिया गया लेकिन शौचालय का अता पता नहीं है। अगर किसी का शौचालय बना है तो उसमे सीट नहीं है तो किसी का छत नहीं इस पंचायत में बहुत सारे लोगों का शौचालय भी नहीं बना है तो पुराने शौचालय का रिपेरिंग करके राशि का आहरण कर लिया गया है। शौचालय को देखते ही पता चल जाता है कि इसमें कितना घोटला किया गया है।
शौचालय में लगे पाईप, सीट पूरी तरह से टूटा फूटा है ये हम नहीं बोल रहे हैं ये तो चित्र देखकर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रधानमंत्री के सपनों को किस कदर चकनाचूर कर रहे हैं नंदलाल बंदे ने। हमारे टीम इन सचिव के तीनों पंचायत का हाल कैसे हैं ये क्रमशा बतायेंगे। कुपाकानी पंचायत में रोजगार गारंटी के कार्य को भी मशीन से करवाया गया ऐसा करके गरीब ग्रामीण मजदूरों के पेट में लात मार दिये सरपंच-सचिव ने ।