रामकृष्ण पाठक कुड़केला।
यह शब्द सुनने में भले ही अजीब लगता होगा किंतु यह सत्य है। यह बात उस वक्त महिलाओं के जुबान से निकली जब लगातार तीन-चार दिन से लामीखार गांव महिलाओं से पूछताछ करने छाल पुलिस की टीम समय बेसमय जाने लगी और जहां सबसे पहले जाकर ग्रामीण महिलाओं के ठगे हुए राशि वापस करा कर केस वही रफ ा-दफ ा करने में लगे रहे जिसके लिए पुलिस की टीम को लगातार लामीखार गांव जाना पड़ा और वहीं आरोपी सुरेश बेहरा से राशि लेकर महिलाओं को पैसा अदा भी कराया गया। जहां आरोपी यह कह कर उन महिलाओं को पैसा वापस किया कि गलती से मेरे द्वारा आप लोगों के खाते से पैसा हरण हो गया था और वहीं पुलिस की मौजूदगी में यह बात कह अपना गलती कबूल किया जिसे ठगी के शिकार हुए महिलाओं ने न्याय की बड़ी आस लेकर छाल थाना में लिखित शिकायत भी कराया था और वही थाना छाल द्वारा महिलाओं के आवेदन स्वीकार कर न्याय दिलाने की बात कही गई किंतु अचानक ऐसा क्या हुआ कि थाना छाल की टीम लगातार लामिखार जाना शुरू कर दिया और मामला को किसी का पूरा पैसा तो किसी का आधा पैसा वापस कर वहीं रफ ा-दफ ा कर दिया गया जहां लगातार समय बे समय पुलिस टीम के गांव में जाने से इन गरीब मजदूर वर्ग के महिला हताहत होकर पुलिस टीम के पास गुहार लगाना प्रारंभ कर दी और कहा कि हमसे गलती हो गया कि हम अपना फ रियाद छाल पुलिस से की हम घने जंगलों के बीच संवेदनशील हाथी प्रभावित इलाके में निवासरत हैं और हमारा रोजी-रोटी खेती किसानी मजदूरी कर गुजर बसर करने वाले गरीब तबके के हैं हम बार-बार थाना कोर्ट कचहरी का चक्कर नहीं लगा सकते हमें जो पैसा मिला नहीं मिला इसी में हम महिला संतुष्ट हैं गलती हमसे हुई जो कि हम थाना जाकर अपनी आपबीती सुनाएं और न्याय की फ रियाद करने गए आज के बाद अब हमारे पास आप लोग मत आइएगा ना हमें थाना कोर्ट का चक्कर लगवाईयेगा यह कह कर कल देर शाम रात पुलिस टीम को लामिखार गांव से मान मनोबल कर विनती कर महिलाओं ने वापस भेजा।