गौ-पालकों की लापरवाही चरम पर, पालतू पशुओं को खुला छोडऩे के कारण खर्राघाट और बोदाटिकरा पुलिया पर गौवंशो का डेरा
नितिन सिन्हा
रायगढ़। गौवंशों को किताबी सम्मान देने वाले हमारे देश भारत में गौवंशो का कितना सम्मान है। यह देखना हो तो कभी देश की सड़कों पर आवारा घूमते या कचरों के ढेर में नियमित पेट भरते गौ-वंशों की तरफ देख लीजियेगा। हमारी कथनी और करनी का अंतर खुद समझ मे आ जायेगा।। दूसरे शब्दों में हमारे देश के अधिकांश धर्म गन्र्थो में देवताओं का दर्जा हासिल करने वाले गौवंशों की ऐसी दुर्दशा आपको भारत छोड़कर दुनिया के अन्य किसी दूसरे देशों में नजर नहीं आएगी।।
जानिए रायगढ़ शहर का सूरते हाल
राजनीतिक क्रिया कलापों और नियमित सड़क हादसों के कारण हमेशा सुर्खियों में रहने वाले रायगढ़ शहर की अपनी एक अलग धार्मिक पहचान भी है। कई मंदिरों और धार्मिक स्थलों के अलावा शहर की चक्रधर गौशाला भी स्थानीय लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है।। एक तरफ पूरे साल भर विभिन्न तीज-त्योहारों में बड़ी संख्या में लोग गौशाला में रह रही गौवंशों की पूजा पाठ करने और चारा खिलाने यहां आते हैं।। तो दूसरी तरफ शहर और उसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के गौवंश पालक उनका उपयोग या शोषण करने के बाद उन्हें सड़क पर खुला और भूखा छोड़ देते है।। बाद में यही बेजुबां निरीह गौवंश सड़को पर आवारा घूमने के कारण कई हादसों का कारण बन जाते हंै। जिनमें बड़ी संख्या में न केवल गौवंशों को नुकसान होता है बल्कि मानव जीवन भी खतरे में पड़ जाता है। इधर शहर के विस्तार के क्रम में सड़कों पर छोटे बड़े और भारी वाहनों का दबाव भी बढऩे लगा है। जिसकी वजह से सड़क हादसों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। इन हादसों को गम्भीरता से देखे तो इनमे एक बड़ा कारण सड़को या पुल-पुलिया में हमारे द्वारा खुला छोड़े गए आवारा घूमने वाले पालतू पशु गौवंश भी है।
शहर की सड़कों के अलावा चौक.चौराहों पर मबेशियो का कब्जा
पालकों के द्वारा गौवंशो या मवेशियों को खुला छोड़े जाने के कारण शहर के व्यस्ततम सड़को और चौक चौराहों पर आवारा पशुओ की संख्या भी तेजी से बढऩे लगी है। पहले शहर के विभिन्न सड़कों में अघोषित कब्जा जमा लिए मवेशियों ने अब शहर से लगी नेशनल हाइवे सड़को का रुख कर लिया है। बीते कुछ महीनों में राष्ट्रीय राजमार्ग में भी कई सड़क हादसे इन आवारा मवेशियों की वजह से घटित हुई है। जिनमें रेगालपाली रोड में हालिया घटित एक घटना में गाय से टकराने के कारण तेज रफ्तार दो-पहिया वाहन चालक युवा और गाय दोनो की मौत हो गई थी। वही शहर की जीवनदायनी केलो नदी पर बनी बोदातिकरा पुलिया में पुल पर बैठी दर्जनों गायों में से एक से टकरा कर एक अज्ञात बाइक चालक और उसका बच्चा दोनों गम्भीर रूप से घायल हो गए थे। जिन्हें दूसरे परिचित बाइक चालक ने अस्पताल पहुंचाया था। वही गिट्टी लोड डम्फ र ने एक साथ पुल पर बैठी चार गायों को कुचल दिया था। जिनमें दो की मौत हो गई थी। हादसे का यह क्रम बीते कुछ दिन पहले तक बना रहा है।
खर्राघाट और बोंदाटिकरा पुलिया अघोषित गौशाला में तब्दील
इधर शहर की सड़कों पर बढ़ते वाहन के दबाव को कम करने के प्रयासों में शहर की केलों नदी पर अतिररिक्त पुल का निर्माण करा गया था। जिनमें पहला पुल खर्राघाट और दूसरा बोंदा-टिकरा में बनाया गया। निश्चित तौर पर दोनो पुलिया के बनने शहर को लाभ हुआ। परन्तु अब यही यह सुविधा मुसीबत बनने लगी है। इसके पीछे का कारण स्थानीय गौवंश पालकों के द्वारा मवेशियों को खुला छोडऩे के कारण मवेशियों बड़ी संख्या में पुल पर दिन भर बैठने लगे है। या दूसरे शब्दों में कहें तो पूरा दिन इन दो पुलों में मवेशियों का अवैध कब्जा बना रहता है। जिनकी वजह से कई दुर्घटनाएं तो घटित हो ही चुकी है। वहीं कुछ आवारा मवेशियों ने दोनो पुलों को अपना स्थाई आवास गौशाला बना लिया है। ऊपर से खर्राघाट पुलिया पर स्थानीय सब्जी विक्रेताओं और गौसेवकों के द्वारा बची खुची सब्जियों को चारा के रूप डाला जा रहा है। जिसे खाने की होड़ में मवेशियों की भीड़ पुल पर लगने लगी है।। इस कारण पुल पर आवागमन करने वाले वाहन चालकों के सांथ कभी भी बड़े हादसे की संभावना भी बनी हुई है। इन परिस्थियों में यह देखना लाजिमी है कि कब शहर प्रशासन और ट्रैफि क पुलिस इन दो पुलों से आवारा मवेशियों को हटा पाते हैं। या उन्हें पालकर खुला छोडऩे वाले उन पशु पालकों पर कारवाही कर पाते हैंण्घ्घ् ताकि यहाँ से नियमित आवागमन करने वाले वाहन चालकों को इन पुलों से गुजरने में कोई परेशानी या भय न रहे।।